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Mustard News: सरसों के भाव MSP से नीचे, घरेलू उत्पादन 120 लाख टन होने की उम्मीद

Jagat Pal

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Mustard News Update: देश में चालू रबी सीजन में सरसों के रिकॉर्ड बिजाई क्षेत्र एवं अनुकूल मौसम के कारण बंपर उत्पादन की उम्मीद की जा रही हैं। उत्पादन में वृद्धि होने से विदेशी खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कुछ घट सकती है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के कार्यकारी निदेशक का कहना है कि “इस बार किसानों ने सरसों का क्षेत्रफल बढ़ाकर 100.40 लाख हेक्टेयर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया है, जबकि लगभग सभी प्रमुख उत्पादक प्रांतों में फसल अभी तक अच्छी हालत में है। उद्योग समीक्षकों के अनुसार 2022-23 सीजन के दौरान देश में लगभग 115 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था जबकि 2023-24 सीजन के दौरान इसमें 3 से 5 लाख टन तक की अतिरिक्त वृद्धि हो सकती है।”

सरसों का घरेलू उत्पादन 120 लाख टन होने के आसार

बाज़ार के जानकारों के मुताबिक़ यदि अगले दो-तीन हफ़्तों तक मौसम अनुकूल बना रहता है और सरसों फसल को किसी प्राकृतिक आपदा का सामना नहीं करना पड़ा तो इस बार उत्पादन बढ़कर 120 लाख टन तक पहुंच सकता है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में कई इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है साथ ही तापमान बढ़ना शुरू हो गया है जिससे सरसों किसानों चिंता बढ़ सकती है। पिछले सप्ताह तक कुछ इलाक़ों को छोड़कर मौसम की स्थिति ठीक-ठाक ही रही ।

वैसे चालू सप्ताह के दौरान कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश हुई और तापमान में गर्मी कम हो गई। पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी होने तथा ठंडी हवा चलने से मैदानी इलाकों में भी मौसम कुछ हद तक ठंडा हो गया है। राजस्थान के कुछ जिलों से उच्चतम तापमान सामान्य स्तर से करीब 6 डिग्री सेल्सियस ऊंचा हो गया। अनिल चतर के मुताबिक सरसों की नई फसल की छिटपुट आवक पहले ही शुरू हो चुकी है जबकि अगले महीने (मार्च) से इसकी रफ़्तार जोर पकड़ने लगेगी।

सरसों के दाम एमएसपी से नीचे

सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य चालू रबी सीजन के लिए 5650 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, लेकिन कृषि उपज मंडियों में सरसों के भाव MSP से काफी नीचे चल रहा है। ऐसे में यदि सरकार द्वारा जल्द ही सरकारी खरीद शुरू नहीं की गई तो सरसों भी गिरावट देखने को मिल सकती है। सरसों तेल का भाव गिरने से मिलर्स को तथा रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद से व्यापारियों-स्टॉकिस्टों को किसानों से ऊंचे दाम पर सरसों खरीदने का प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। किसानों को औने-पौने दाम पर अपनी सरसों बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

मैं जगत पाल पिलानिया ! ई मंडी रेट्स का संस्थापक हूँ । ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों को मंडी भाव और खेती किसानी से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है।