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Organic Farming: जैविक खेती पर किसानों को प्रति एकड़ 6500 रुपये, जानें सरकार की पूरी स्कीम

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Organic Farming: बीते कुछ सालों से देश में जैविक कृषि उत्पादों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। इसे देखते हुए सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों का रुझान इस और करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) की शुरुआत की है।

केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जैविक खेती (Organic Farming) को रसायन मुक्त खेती के रूप में बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक मदद मुहैया करवा रही है। इसी कड़ी में बिहार राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में जैविक खेती प्रोत्साहन योजना (Jaivik Protsahan Yojana) के तहत आर्गेनिक फार्मिंग करने वाले किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ देने का ऐलान किया है।

जाने, क्या होती है जैविक खेती?

जानकारी के लिए आपको बता दें की जैविक खेती में रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। जैबिक खेती में केवल जैविक खाद और ऑर्गेनिक तरीके से बनाए कीटनाशक ही इस्तेमाल होते हैं। जैविक खेती में गोबर की खाद, कंपोस्ट, केंचुआ खाद यानी वर्मी कंपोस्ट, फसलों के बचे हिस्से को सड़ाकर बनी खाद, ढैंचा की बुआई आदि तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है,। ये सारी चीजें जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाती हैं और साथ ही आपकी फसल का प्रोडक्शन भी बढ़ता है।

जैविक खेती पर सरकार देगी 6500 रुपये

कृषि विभाग, बिहार सरकार ने ट्वीट में कहा, जैविक खेती प्रोत्साहन योजना के तहत जैविक खेती करने वाले किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ लाभ देने का है प्रावधान।

जानकारी के मुताबिक़ कृषि विभाग ने वर्ष 2022-23 में 25.50 करोड़ रुपये की स्वीकृति की है। जैविक खेती करने वाले किसानों को 2.5 एकड़ तक लाभ दिया जाएगा।

राज्य के किसान इस योजना से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 संपर्क करें।

जैविक खेती के फायदे

जैविक खेती (Organic Farming) करने का फ़ायदा ये होता है कि इससे मिट्टी की उर्वरता और फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। जैविक खेती पर ICAR-अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम के तहत किए गए शोध अध्ययनों से संकेत मिलता है कि खरीफ और ग्रीष्मकालीन फसलों में 2 से 3 वर्षों में तुलनात्मक उपज या पारंपरिक प्रबंधन की तुलना में थोड़ी अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है, जबकि रबी फसलों में उपज 5 वर्षों के बाद स्थिर हो जाती है।

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मैं जगत पाल पिलानिया ! ई मंडी रेट्स का संस्थापक हूँ । ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों को मंडी भाव और खेती किसानी से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है।

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