Commodities News : क्या आपको पता है कि भारत सरकार ने चने पर फिर से 10% आयात शुल्क लगाने का बड़ा फैसला लिया है? जी हाँ, यह खबर आपके लिए भी मायने रखती है, चाहे आप किसान है या व्यापारी । तो चलिए, इस फैसले की वजह और इसके प्रभाव को आसान शब्दों में समझते हैं।
सरकार का फैसला: चना पर 10% आयात शुल्क
1 अप्रैल 2025 से चने पर 10% आयात शुल्क दोबारा लागू होने जा रहा है। मई 2024 से यह शुल्क हटाया गया था, लेकिन अब सरकार ने इसे वापस लाने का निर्णय लिया है। इसके पीछे कारण है घरेलू चना उत्पादन में सुधार और रबी सीजन की शानदार फसल की उम्मीद। यह कदम भारतीय किसानों को सहारा देने और दालों में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का संकेत देता है।
“संदर्भित अधिसूचना 24/2024 के अनुसार, सरकार ने 31 मार्च 2025 तक देसी चने के आयात पर शून्य शुल्क की अनुमति दी थी। अब, उक्त अधिसूचना की अवधि समाप्त हो रही है। इसके परिणामस्वरूप AIDC को, जो पहले 50% था, समाप्त कर दिया जाएगा। BC को 10% पर बनाए रखा जाएगा। Lसोशल वेलफेयर सरचार्ज को भी हटा दिया जाएगा। 1 अप्रैल 2025 से सभी देसी चने के आयात पर 10% मूल सीमा शुल्क (BCD) लागू होगा।”
ये रहा नोटिफ़ेशन


चना उत्पादन में बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2024-25 में चना उत्पादन 11.54 मिलियन टन तक पहुँच सकता है। यह पिछले साल के 11.04 मिलियन टन से थोड़ा बेहतर है, हालाँकि 2022 के रिकॉर्ड 13.54 मिलियन टन से कम है। फिर भी, यह बढ़ोतरी एक सकारात्मक संकेत है। मंत्रालय का कहना है कि पिछले कुछ सालों में उत्पादन घटा था, लेकिन अब हालात सुधर रहे हैं।
वर्तमान में मंडियों में चने के भाव
साथियों, मंडियों में चने के भाव में तेजी देखने को मिली है। लातूर, इंदौर और रायपुर जैसी मंडियों में 100 से 200 रुपये तक की उछाल आई है। लातूर में चना विजया 6000 रुपये तक पहुँचा, तो इंदौर में काबुली चना 9000 रुपये तक गया।
आज 28 मार्च को दिल्ली मंडी में नया चना एमपी लाइन के दाम +50 रुपये के उछाल के साथ 5550/5600 रुपये व राजस्थान जयपुर लाइन में नया चना भाव +50 रुपये बढ़कर 5650/5700 रुपये हो गया है।
दालों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य
बजट 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘पल्सेज आत्मनिर्भरता मिशन’ का ऐलान किया है। अगले छह सालों में तूर, उड़द और मसूर पर खास ध्यान दिया जाएगा। नेफेड और एनसीसीएफ इन दालों को बिना किसी सीमा के खरीदेंगे, बशर्ते किसान इनके साथ पंजीकृत हों। इस मिशन का मकसद है जलवायु-प्रतिरोधी बीज तैयार करना और किसानों को सही दाम दिलाना। साथ ही, कटाई के बाद भंडारण को बेहतर बनाना भी लक्ष्य है।
तो क्या होगा असर?
चना पर आयात शुल्क और आत्मनिर्भरता मिशन, दोनों ही भारतीय खेती के लिए बड़े कदम हैं। इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि विदेशी आयात पर निर्भरता भी घटेगी। आपके लिए इसका मतलब हो सकता है कि दालों की कीमतें स्थिर हों। साथ ही, बेसन जैसे उत्पादों के दाम पर भी नजर रखनी होगी। आने वाला वक्त बताएगा कि यह नीति कितनी कारगर साबित होती है।
चना आयात शुल्क पर आपके सवाल-जवाब
चना आयात पर 1 अप्रैल 2025 से 10% आयात शुल्क होगा लागू।
लीस्ट डेवलप्ड नेशन और आसियान देशों से आयात हो सकता है (लेकिन सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन देना होगा)
लीस्ट डेवलप्ड नेशन में तंजानिया से भारत चना आयात करता है, जबकि बर्मा आसियान देर्शा में शामिल है।
सवालः घरेलू चना पर इस क्या प्रभाव?
जवाब – चना बाजार के लिए यह 10% आयात शुल्क खबर सकारात्मक रह सकता है। घरेलू चना के दाम में सुधार होने पर सरकार को MSP दाम पर चना लक्ष्य के अनुरूप मिलने में हो सकती है मुश्किल।
सवालः ऑस्ट्रेलिया से आगे 2-3 महीने कितना चना हो सकता है आयात?
जवाब – देशी चना की फसल आने के बाद से ऑस्ट्रेलिया चना के लिए कामकाज लगभग बंद है, इसलिए रास्ते में जो सौदे होंगे वही आयात होगा। बाज़ार के जानकारों का कहना है की आयात अब नहीं के बराबर होगा जब तक की घरेलु भाव 6200 के ऊपर नहीं चले जाते।
सवालः ऑस्ट्रेलिया चना का वर्तमान भाव अनुसार 10% ड्यूटी के साथ पड़तल कितना?
जवाब – ऑस्ट्रेलिया से भारत के लिए चना के ताजा सौदे नहीं के बराबर है लेकिन पाकिस्तान के लिए अप्रैल-मई के लिए 680 डॉलर के भाव है। यदि भारत के लिए 660 डॉलर माने और 10% ड्यूटी जोड़े तो यह पोर्ट खर्च सहित लगभग ₹6400 रुपये प्रति क्विंटल होने का अनुमान है।
{ 660 X 85.67 = 56,542 X 10% शुल्क = 62,196 + 2000 पोर्ट खर्च = 64,196 मीट्रिक टन (₹6420 प्रति क्विंटल) }