Cotton Farming: कपास की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी से रकबा बढ़ा, फसल ख़राब होने का खतरा बरकरार

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नई दिल्ली: कपास की कीमतों (Cotton Price) में अबकी बार रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली थी, हाजिर मंडियों में पहली बार नरमा 14,000 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर पहुँच गया था। बीते एक साल में नरमा-कपास की कीमतों में तकरीबन 70 फीसदी तक का उछाल देखने को मिला है। कपास की कीमतों में आई इस तेजी का असर ये हुआ की इस बार खरीफ सीजन में किसानों ने जमकर कपास की खेती (Cotton Farming) की हैं। पिछले साल अगस्त महीने में कपास की कीमतें प्रति कैंडी 56,000 रुपए के करीब चल रही थी जो इस साल 93,000 प्रति कैंडी के स्तर पर कारोबार कर रही है।

कपास की कीमतों में आई इस रिकॉर्ड तेजी से इस साल कपास की बुवाई का रकबा करीब 6.7% बढ़ गया है। ताज़ा आकड़ों के मुताबिक देश में 9 अगस्त तक तकरीबन कुल 122 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी है, अगर बात करें पिछले साल समान अवधि की तो 113 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हुई थी।

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर मौसम अनुकूल रहा तो देश में इस साल (2022-23) कपास का उत्पादन 375 लाख गांठ रहने का अनुमान है। जानकारी के लिए आपको बता दें की एक कैंडी में 356 किलोग्राम और एक गांठ में 170 किलोग्राम कपास होता है। सरकार ने कच्चे कपास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 6080 रुपए निर्धारित किया है, जबकि चालू सीजन के लिए अभी से ही किसानों को प्रति क्विंटल 9,000 रुपए से अधिक मिल रहे हैं।

Cotton Farming फसल ख़राब होने का खतरा बरकरार

इस सीजन पिंक बॉलवर्म या गुलाबी इल्ली (Pink Bollworm-PBW) से कपास की फसल में भारी नुकसान हुआ था, पिंक बॉलवर्म का खतरा इस बार भी मंडरा रहा है। मध्य भारत के साथ साथ दक्षिण और पश्चिम भारत में भारी बारिश से फसल हो नुकसान पहुंचा है, वहीं राजस्थान , पंजाब और हरियाणा में वातावरण में नमीं रहने से फसल में नुकसान होने का खतरा बना हुआ है। पंजाब के अबोहर फाज्लिका से बठिंडा और मानसा से कपास में सफेद मच्छर और गुलाबी सुंडी के प्रकोप की खबरे सामने आती रहती है , जहां पर कुछ किसानों ने तो अपनी खड़ी फसल को नष्ट करके अन्य वैकल्पिक फसलों की बिजाई की है।

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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