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मोदी सरकार का बड़ा तोहफा! मखाना बनेगा ग्लोबल ब्रांड, केंद्र ने दी 476 करोड़ की मंजूरी, ये है पूरा प्लान

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Exclusive: केंद्र सरकार ने अभी-अभी मंजूर की 476 करोड़ की मखाना योजना, जानिए आपके गांव तक पहुंचेगा कैसे ये पैसा!

Makhana Farming- मखाना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी आ गई है। केंद्र सरकार ने 2025-26 से लेकर 2030-31 तक चलने वाली एक बेहद खास योजना को मंजूरी दे दी है। इस [Makhana Farming Scheme] पर कुल 476.03 करोड़ रुपये खर्च होंगे। कृषि मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस योजना का मकसद सिर्फ खेती बढ़ाना नहीं, बल्कि मखाना को भारत का एक ग्लोबल ब्रांड बनाना है।

किसानों की जेब में सीधा फायदा

इस योजना के जरिए सरकार मखाना उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों को एक साथ सुधारना चाहती है। सरकार का साफ कहना है कि इससे किसानों की आय बढ़ेगी और भारतीय मखाना को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक मजबूत पहचान मिलेगी। योजना सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है।

जानिए कहां-कहां खर्च होंगे 476 करोड़

इतने बड़े बजट को सात साल में ऐसे बांटा जाएगा:

  • अनुसंधान और नवाचार पर जोर
  • उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन
  • किसानों की क्षमता निर्माण
  • कटाई और कटाई-पश्चात प्रक्रियाओं में सुधार
  • मूल्य संवर्धन और ब्रांडिंग
  • विपणन और निर्यात प्रोत्साहन
  • गुणवत्ता नियंत्रण

बोर्ड की पहली बैठक में क्या-क्या हुआ तय?

12 दिसंबर को दिल्ली के कृषि भवन में इस योजना की पहली बोर्ड बैठक हुई। इसमें कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी खुद मौजूद रहे। इस दौरान बोर्ड और केंद्रीय क्षेत्र योजना के क्रियान्वयन की औपचारिक शुरुआत कर दी गई। बिहार समेत अलग-अलग राज्यों और शोध संस्थानों ने अपनी वार्षिक कार्ययोजनाएं पेश कीं। हर घटक के लिए बजट आवंटन को भी फाइनल मंजूरी दे दी गई।

बिहार के विश्वविद्यालय बनेंगे बीज सप्लाई का हब

मुख्य बात यह है कि अगले साल के लिए राज्यों की बीज जरूरतों को समेकित किया जाएगा। इसके लिए बिहार के दो बड़े संस्थानों – सबौर स्थित राज्य कृषि विश्वविद्यालय और समस्तीपुर का केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को जिम्मेदारी दी जाएगी। ये दोनों संस्थान देशभर में बीज सप्लाई करेंगे।

ट्रेनरों को भी मिलेगा ट्रेनिंग!

एक और अहम फैसला यह हुआ कि बिहार और दरभंगा स्थित एनआरसी मखाना अलग-अलग राज्यों से आने वाले ट्रेनर्स को मखाना वैल्यू चेन की नवीनतम तकनीकों पर प्रशिक्षण देंगे। मकसद साफ है – पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के क्षेत्रों में मखाना की खेती को बढ़ावा देना। बोर्ड ने इस बात पर भी जोर दिया कि खेती और प्रसंस्करण से जुड़ी नई तकनीकों पर रिसर्च जरूरी है। ग्रेडिंग, सुखाने, पॉपिंग और पैकेजिंग के लिए बुनियादी ढांचा भी तैयार किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने खुद किया था शुभारंभ

याद दिला दें कि इस बोर्ड का गठन 2025-26 के केंद्रीय बजट में किया गया था। इसका औपचारिक उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर 2025 को बिहार में किया था। मखाना क्षेत्र को मजबूत और आधुनिक बनाने की दिशा में ये एक अहम कदम माना जा रहा है। इस योजना से गांव-गांव के किसान जुड़ेंगे और मखाना की खेती एक आधुनिक [Agri Business Development] का रूप लेगी।

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नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 6 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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