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Wheat Crop: बढ़ती गर्मी कमजोर बारिश से गेहूं के उत्पादन में गिरावट की आशंका

Jagat Pal

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Effect of temperature on wheat crop: तापमान में हो रही वृद्धि ने गेहूं की फसल (Wheat Production) के लिए चिंता का कारण बन रही है। वही दूसरी तरफ़ इस बार कई राज्यों में बारिश का अभाव और तापमान में बढ़ोतरी होने लगा है। अक्सर फरवरी-मार्च के महीने में मौसम की हालत प्रतिकूल होने से कई क्षेत्रों में गेहूं की फसल प्रभावित होती है, जिसके चलते दाने की क्वालिटी पर असर पड़ता है। मौसम विभाग के अनुसार अप्रैल तक अल नीनो मौसम चक्र का प्रभाव बना रहेगा। जो की किसानों की लिए चिंता का विषय बन सकता है । 

रबी सीजन में गेहूं सबसे प्रमुख फसलों में से एक है। सरकारी अकड़ों के मुताबिक़ इस बार राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की बिजाई क्षेत्र बढ़कर 341 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया। सरकारी अकड़ों के अनुसार इस बार इसमें से करीब 60-65 फीसदी क्षेत्र में गेहूं की ऐसी उन्नत एवं विकसित किस्मों की खेती की गई है जो की प्रतिकूल मौसम और खासकर ऊंचे तापमान को सहन करने की अधिक क्षमता रखता है।

वहीं कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षमता की भी एक सीमा है और यदि लम्बे समय तक मौसम गर्म रहने की संभावना व्यक्त की है। राजस्था पंजाब और हरियाणा में दिसम्बर और जनवरी का महीना लगभग सूखा ही रहा था। देश के पश्चिमोत्तर, मध्यवर्ती एवं पूर्वी राज्यों में जनवरी के दौरान वर्षा का अभाव रहा मगर मौसम ठंडा रहने से फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।

हालाँकि अभी तक गेहूं की फसल संतोषजनक बताई जा रही है। यदि फरवरी माह के आगामी दिनों में शुष्क इलाकों में एकाध अच्छी वर्षा हो जाती है तो गेहूं की फसल की हालत में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। इसके विपरीत यदि बारिश का अभाव रहा तो फसल को नुक़सान होने की संभावना है।

मौसम विभाग के द्वारा जारी किए आंकड़ों के मुताबिक़ 1 जनवरी से 14 फरवरी 2024 के दौरान देश के लगभग 68% क्षेत्र में बारिश कम, बहुत कम या बिल्कुल नहीं हुई। यह आंकड़ा गेहूं की फसल के लिए सही नहीं है। 

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन के लिए 1140 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो 2022-23 के अनुमानित उत्पादन 1105 लाख टन एवं 2021-22 के उत्पादन 1077 लाख टन से ज्यादा है।

उद्योग-व्यापार समीक्षकों का कहना है कि इस बार मौसम की हालत बहुत अच्छी नहीं है और इसलिए गेहूं का वास्तविक उत्पादन सरकारी लक्ष्य से काफी कमजोर रह सकता है ।

बढ़ते हुए तापमान से गेहूं की फसल को कैसे बचा सकते है?

गेहूं और जौ की फसलों में बाली आने पर एस्कार्बिक अम्ल के 10 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी का घोल छिड़काव करने से अधिक तापमान होने पर भी नुकसान नहीं होगा। गेहूं की पछेती बोई फसल में पोटेशियम नाइट्रेट 13:0:45, चिलेटेड जिंक, चिलेटेड मैंगनीज का छिड़काव भी फायदेमंद होता है। वातावरण में बदलाव के कारण गेहूं की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप दिखाई दे रहा है तो इसके नियंत्रण के लिए किसानों को प्रॉपिकोनाजोल की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी के घोल को दो बार 10 से 12 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।

मैं जगत पाल पिलानिया ! ई मंडी रेट्स का संस्थापक हूँ । ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों को मंडी भाव और खेती किसानी से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है।