कपास का रकबा बढ़ा, बीते साल से 6.71 फीसदी अधिक, भारी बारिश से फसलों को नुकसान

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now

नई दिल्ली 6 अगस्त 2022: बीते महीने से देश के कुछ कपास उत्पादक राज्यों राजस्थान हरियाणा पंजाब महाराष्ट्र गुजरात में हुई भारी बारिश से नरमा-कपास की फसल में काफी नुकसान होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. मिडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र में अत्यधिक बारिश चलते खरीफ फसल का करीब 8.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का रकबा क्षतिग्रस्त हो गया है. हालांकि वास्तविकता का पता तो रिपोर्ट आने के बाद ही चल पायेगा.

कपास के रकबे में 6.71 फीसदी की बढ़ोतरी

रिपोर्ट्स के मुताबिक 6 अगस्त 2022 तक देशभर में कपास की बुआई (Kapas Ka Rakba) 6.71 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 121.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की 113.51 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। गौरमतलब है की बीते साल किसानों को कपास के अच्छे भाव मिले थे जिसके चलते इस बार किसानों ने कपास की फसल को प्राथमिकता दी है। आइये देखें देश में राज्यवार 5 अगस्त 2022 तक कपास का रकबा कितना बढ़ा या घटा..

इसे भी पढ़े : Edible Oil Price: सस्ता होगा खाने का तेल, सरकार ने तेल कंपनियों को 10 रुपये की कटौती के दिये निर्देश

  • उत्तर भारत के राज्यों पंजाब और हरियाणा में हालांकि समय पर नहरी पानी एवं बिजली आपूर्ति की कमी के कारण कपास की बुआई घटकर क्रमशः 2.48 और 6.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमशः 2.54 और 6.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।
  • राजस्थान में जरूर चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 6.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी हैए जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.99 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
  • गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 25.04 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो की पिछले साल की समान अवधि में 22.22 लाख हेक्टेयर में हुई थी
  • महाराष्ट्र में 41.71 लाख हेक्टेयर मेें हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 38.74 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। जानकारों के अनुसार गुजरात और महाराष्ट्र में जहां जून में सामान्य की तुलना में कम बारिश हुई थी, वहीं जुलाई में भारी बारिश से कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है, जिससे महाराष्ट्र की नागपुर लाईन में कॉटन को नुकसान की आशंका है।
  • मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर 5.00 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
  • दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना में कपास की बुआई घटकर 18.38 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई 20.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
  • आंध्र प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 4.67 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में 3.56 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
  • कर्नाटक में 7.39 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में 5.06 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
  • तमिलनाडु में 0.12 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में 0.06 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
  • ओडिशा में कपास की बुआई 2.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.88 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

Weekly Area Coverage Under Kharif Crops As on 06-Aug-2022

S.No.CropsArea Sown (Lakh Ha) 2022Area Sown (Lakh Ha) 2021Difference in Area Coverage Over% of Increase (+)/ Decrease (-) Over
1Total Pulses116.45119.43-2.98-2.50
(i)  Arhar39.8044.43-4.63-10.42
(ii)  Kulthi0.160.24-0.08-32.47
(iii)  Urad31.8333.87-2.04-6.03
(iv)  Moong30.9930.230.762.52
(v)  Other Pulses13.6610.653.0128.26
2Total Coarse Cereals160.37154.405.963.86
(i)  Jowar12.6512.620.020.20
(ii)  Bajra65.1756.688.4914.98
(iii)  Ragi2.674.30-1.63-37.81
(iv)  Maize75.7576.34-0.59-0.77
(v)  Small Millets4.124.46-0.34-7.61
3Total Oilseeds174.79173.820.970.56
(i)  Groundnut41.0944.39-3.30-7.44
(ii)  Sunflower1.701.320.3828.69
(iii)  Sesamum11.0911.21-0.13-1.12
(iv)  Niger0.210.23-0.02-9.53
(v)  Castor3.081.481.60107.76
(vi)  Soyabean117.51115.102.412.09
(vii)  Other Oilseeds0.120.080.0443.75
4Sugarcane 54.46  
5Total Jute and Mesta6.926.99-0.07-1.02
6Cotton121.13113.517.626.71
 7Grand Total579.65932.78-353.13-37.86
*Data Source:nfsm.gov.in

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

Leave a Comment

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now