ग्लायफोसेट के दुष्प्रभाव ? Side effects of Glyphosate In Hindi

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What is glyphosate In Hindi ?

जाने ग्लायफोसेट के दुष्प्रभाव ? Side effects of Glyphosate in Hindi :- Glyphosate (ग्लायफोसेट) जो की एक प्रकार का रसायन (chemical) है, जिसका उपयोग भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया में खरपतवार नाशक (Weed killer chemical) के रूप में किया जाता है।  ग्लाइफोसेट आधारित उत्पादों को 160 से अधिक देशों में बेचा जाता है। अकेले यूएस कैलिफोर्निया राज्य में, किसान 250 प्रकार की फसलों पर इसका इस्तेमाल करते हैं। Side effects of glyphosate in Hindi

इसे अमेरिकी कृषि रसायन और कृषि जैव प्रौद्योगिकी निगम मोंसांटो (Monsanto Agrochemical company) नामक कम्पनी ने तैयार किया था .अमरीका में इस कंपनी के ख़िलाफ़ अब तक 4000 से अधिक मामले दर्ज़ हो चुके हैं।

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Side effects of Glyphosate in Hindi

ग्लायफोसेट की जांच से साबित हो गया है कि यह कैंसर नामक बीमारी (Cancer disease) फैलाता है मगर किसान इसके इस्तेमाल के लोभ से नहीं बच पाते हैं। 2015 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने यह निर्धारित किया था कि ग्लाइफोसेट ” संभवतः मनुष्यों के लिए कैंसरजन्य ” ।glyphosate side effects

Side effects of Glyphosate in Hindi
Side effects of Glyphosate in Hindi

कैंसर एक ऐसी बीमारी जिसमें असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं और शरीर के ऊतकों को नष्ट करती हैं।

क्या हमारे किसानों को ग्लायफोसेट के असर का अंदाज़ा है?

डाउन टू अर्थ पत्रिका इस पर लगातार लिखता रहता है। 16-31 जुलाई वाले अंक के लिए वर्षा वार्ष्णेय ने कवर स्टोरी लिखी है। मैं इसी रिपोर्ट के आधार पर हिन्दी में आपके लिए लिख रहा हूं। हिन्दी के पाठकों का दुर्भाग्य है कि उनकी मेहनत की कमाई का हज़ार रुपये लेकर चैनल और अख़बार ऐसी जानकारी नहीं देते हैं। आप कब हिन्दी के अख़बारों को आलोचनात्मक नज़र से देखेंगे पता नहीं। डाउन टू अर्थ हिन्दी में भी आता है, जहां इन सब बातों पर विस्तार से रिपोर्ट छपती है। कई बार लगता है कि हिन्दी का पाठक ख़ुद को मूर्ख और अनजान बनाए रखने के लिए हिन्दी के अख़बारों को सब्सिडी देता है।

ग्लायफोसेट को सन 1974 से मोंसांटो बना रही है जिसे इस साल जून में जर्मन कंपनी बेयर ने ख़रीद लिया है। दुनिया भर में इसका इस्तेमाल  बढ़ता ही जा रहा है।भारत के किसान भी ग्लायफोसेट को कपास और सोयाबीन की खेती में इसका ख़ूब उपयोग करते हैं। यवतमाल के किसान कहते हैं कि इसके बिना खेती नहीं कर सकते हैं। हाथ से खरपतवार निकालने के बजाए इस ग्लायफोसेट रसायन का इस्तेमाल करते हैं। वर्ना खेती की लागत तीन गुनी हो जाएगी। खेती के अलावा रेल ट्रैक, पार्क, जलाशयों में खरपतवार को साफ करने में उपयोग होता है। फ़सलों की कटाई से पहले भी इसका छिड़काव किया जाता है।

Glyphosate chemical की शुरूआत चाय के बाग़ानों में छिड़काव से हुई थी मगर किसान अवैध रूप से इसका इस्तेमाल अन्य दूसरी फसलों में भी करने लगे हैं। किसान फसलों को प्लास्टिक की चादरों से ढंक देते हैं और उसकी जड़ों के आस-पास छिड़काव करने लगते हैं ताकि खरपतवार साफ हो जाए। किसान दूरगामी परिणामों की सोचेगा तो तुरंत फायदा नहीं होगा।

इसलिए वह इसके इस्तेमाल के लिए बाध्य हो जाता है। भारत में इस पर नज़र रखने के लिए Directorate of Plant ProtectionOuarantine and Storage नाम की संस्था है जिसके अनुसार भारत में भी इसका इस्तेमाल पहले की तुलना में काफी बढ़ चुका है। भारत में इस रसायन को लेकर दर्जनों दवाइयां बिक रही हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय राउंडअप है। यह सब डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट से ही लिख रहा हूं।

ऐसा नहीं है कि किसानों को इसके ख़तरे का पता नहीं है..

पिछले साल यवतमाल में छिड़काव के दौरान संपर्क में आने से 23 किसान मारे गए थे। यवतमाल के अस्तपाल के डाक्टर ने भी कहा है कि इस केमिकल के असर में आए कई मरीज़ आते रहते हैं। ग्लायफोसेट के कारण किडनी और लीवर भी नष्ट हो जाता है। न्यूरो की बीमारियां होने लगती हैं। कैंसर तो होता ही है। और भी कई बीमारियों का ज़िक्र है जिसके लिए आपको यह रिपोर्ट पूरी पढ़नी चाहिए। मैं शब्दश अनुवाद नहीं कर रहा हूं।

फ्रांस के मोलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट Gilles-Eric Seralini का अध्ययन

फ्रांस के मोलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट Gilles-Eric Seralini ने गहन अध्ययन किया है, उनके अनुसार इस रसायन को तुरंत ही बैन कर देना चाहिए।मगर कंपनी अपनी तरफ से रिसर्च में फ्राड कर इन बातों को दबा देती है। कंपनी ने अरबो डॉलर ख़र्च कर वैज्ञानिकों और सरकारों के मुंह बंद किए हैं। भारत में इसके असर पर कम अध्ययन हुआ है। मगर गांव गांव में कैंसर फैल रहा है यह बात किसान भी जानते हैं। उनके बीच से भी किडनी फेल होने की बीमारी बढ़ रही है।

विदेशों में ग्लाइफोसेट पर अंकुश

2014 में श्रीलंका ने इसे बैन कर दिया। वहां किडनी नष्ट होने के बहुत सारे मामले सामने आने लगे थे। धान के किसान इसकी चपेट में आए। इसके इस्तेमाल से पानी ज़हरीला हो गया। जून 2018 में बैन हटा लिया गया क्योंकि चाय बाग़ानों के मालिक दबाव डालने लगे और बताने लगे कि अरबों डालर का नुकसान हो रहा है। थाईलैंड में भी रबर, ताड़ के तेल और फलों में इस्तेमाल होता है।

वहां के किसान भी सरकार पर दबाव डालते हैं कि इसके इस्तेमाल पर अंकुश न लगाया जाए। यूरोपीयन यूनियन ने भी इसी दबाव के कारण इस रसायन के लाइसेंस को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। खेल यह है कि मोंसांटो का नाम बदनाम हो चुका था। इसलिए बेयर कंपनी ने इसे अपने नाम से बेचने का फैसला किया है। डाउन टू अर्थ की इस रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि इसके बावजूद अनेक रिसर्च में इस रसायन से कैंसर होने और लीवर और किडनी नष्ट होने की बात की पुष्टि हुई है।

भारत में ग्लाइफोसेट पर द्रीष्टी

26 मार्च 2018 को महाराष्ट्र के यवतमाल ज़िले के कृषि विभाग ने Director, quality control, Pune को लिखा कि यवतमाल में तो चाय बाग़ान नहीं है फिर यहां इस्तेमाल क्यों हो रहा है। हम अपने अधिकार क्षेत्र में इस नुकसानदेह रसायन का इस्तेमाल नहीं चाहते हैं इसलिए आप इस पर रोक लगाएं। वहां इसकी बिक्री पर अंकुश तो लगा है कि मगर किसान दूसरे ज़िले से ख़रीद कर ला रहे हैं। आंध्र प्रदेश भी इसके इस्तेमाल को कम करने के लिए प्रयास कर रहा है। मगर कई अड़चने ऐसा होने नहीं दे रही हैं।

कैलिफोर्निया की हाईकोर्ट ने राउंडअप ब्रांड के खरपतवार नाशक से डेवेन जॉनसन नाम के व्यक्ति को कैंसर.

DeWayne Johnson listens during the Monsanto trial in San Francisco last month
DeWayne Johnson listens during the Monsanto trial in San Francisco last month

अब आते हैं एक दूसरी ख़बर पर। डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट भी इसी ख़बर से शुरू होती है मगर तब तक कोर्ट का आदेश नहीं आया था। अमरीका की सैन फ्रांसिस्कों की अदालत ने ग्लायफोसेट बनाने वाली कंपनी मोंसांटो पर 289 मिलियन डालर जुर्माना देने का फैसला सुनाया है। इस केस का ट्रायल काफी लंबा चला है। जजों ने एक एक बात को समझा है। वैज्ञानिक रिसर्च पर ग़ौर किया है और यह भी देखा है कि मोंसांटो उन बातों को छिपाने के लिए क्या क्या जुगाड़ करता है। आप गार्डियन अख़बार की रिपोर्ट पढ़ सकते हैं। इंटरनेट पर है।

एक ताजा खबर के अनुसार अदालत ने ग्लायफोसेट बनाने वाली कंपनी मोंसांटो पर 289 मिलियन डालर जुर्माना को 22 अक्टूबर 2018 को, एक न्यायाधीश ने फैसले को बरकरार रखा लेकिन डेवेन जॉनसन को मोन्सेंटो का भुगतान $ 78 मिलियन कर दिया।

46 साल के एक माली ने केस न किया होता तो इस कंपनी को इतना बड़ा दंड न मिलता और दुनिया के सामने इसकी सच्चाई सामने नहीं आती। एक स्कूल में काम करने वाला यह माली खर-पतवारों को मिटाने के लिए मोंसांटों के बनाए राउंडअप रसायन का छिड़काव करता था। उसे भयंकर किस्म का कैंसर हो गया। उसने मोंसांटों के ख़िलाफ़ मुक़दमा लड़ा और इस रसायन के असर को दुनिया भर में छिपाने के खेल का पर्दाफ़ाश कर दिया। अफसोस उस भयंकर बीमारी से माली बहुत दिनों तक नहीं बच सकेगा मगर उसने अपनी ज़िंदगी अरबों लोगों के नाम कर दी है जिनके बीच के लाखों लोग हर साल कैंसर के शिकार हो रहे हैं। और उन्हें लगता है कि यह सब राहु केतु की वक्र दृष्टि से हो रहा है।

Glyphosate in Hindi (गलीफॉसट) – दुष्प्रभाव/साइड इफेक्ट?

निम्नलिखित उन संभावित दुष्प्रभावों की सूची है जो उन दवाओ से हो सकते हैं जिनमें Glyphosate (गलीफॉसट) शामिल होता है। यह व्यापक सूची नहीं है। ये दुष्प्रभाव संभव हैं, लेकिन हमेशा नहीं होते हैं। कुछ दुष्प्रभाव दुर्लभ, लेकिन गंभीर हो सकते हैं। यदि आपको निम्नलिखित में से किसी भी दुष्प्रभाव का पता चलता है, और यदि ये समाप्त नहीं होते हैं तो अपने चिकित्सक से परामर्श लें।

  •  बेहोशी
  • त्वचा की जलन
  • जठरांत्र पथ में जलन
  • श्वसन प्रणाली में जलन
  • वर्धित सांस लेना

यदि आपको किसी ऐसे दुष्प्रभाव का पता चलता है जो ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है तो चिकित्सीय सलाह के लिए अपने चिकित्सक से संपर्क करें। आप अपने स्थानीय खाद्य और दवा प्रबंधन अधिकारी को भी दुष्प्रभावों की सूचना दे सकते हैं।

ग्लाइफोसेट की बाज़ार में उपलब्धता

यह बाज़ार में विभिन कंपनियो का भिन्न-भिन्न नाम से उपलब्ध है जैसे राउंड अप , ऑलकील , गरुड आदि |

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति eMandiRates उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार eMandiRates के नहीं हैं, तथा eMandiRates उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

मैं जगत पाल पिलानिया ! ई मंडी रेट्स का संस्थापक हूँ । ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों को मंडी भाव और खेती किसानी से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है।

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