श्री अन्न: मोटे अनाजों के निर्यातक देशों में भारत पांचवा सबसे बड़ा देश, उपज में 80 फीसदी की है हिस्सेदारी

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नई दिल्ली : भारत सरकार के प्रस्ताव से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जबसे 2023 को मिलेट वर्ष (International Year of Millets) घोषित किया है, तब से संपन्न देशों में भारत के श्रीअन्न की मांग में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ अमेरिका, जापान, जर्मनी और सऊदी अरब जैसे देश भारत में उपजे श्रीअन्न के बड़े आयातक हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ राजधानी दिल्ली में 18 मार्च को आयोजित विश्व श्री अन्न सम्मेलन में जुटे 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने भी भारत के इस बढ़ते प्रभुत्व को स्वीकार किया है।

मोटे अनाज का प्रमुख केंद्र है भारत

आपको बता दें वित्त मंत्री ने मोटे अनाजों के लिए ‘श्री अन्न’ (Shree Anna) सम्बोधन का प्रयोग किया है। वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा की, “भारत मोटे अनाजों यानि कि मिलेट्स का हब है। भारत में इसके उत्पादन को बढ़ाकर देश को मिलेट्स का वैश्विक केंद्र बनाया जायेगा। 

श्री अन्न के अंतर्गत मुख्य रूप से ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू के दानों आदि को शामिल किया जाता है। ये अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत के प्रस्ताव पर साल 2023 को इंटरनेशनल मिलेट ईयर के रूप में घोषित किया है। 

दिल्ली में आयोजित विश्व श्री अन्न सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों ने माना कि भारत मोटे अनाज का प्रमुख केंद्र है जो वैश्विक जरूरतों को भी पूरा करने में सक्षम हो सकता है।

श्री अन्न के मामले में विश्व में भारत के बढ़ते प्रभुत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल से नवंबर के बीच सिर्फ 9 महीने के दौरान भारत ने संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, नेपाल, अमेरिका, जापान, जर्मनी, बांग्लादेश, मिस्त्र, ईरान एवं ओमान को कुल 1 लाख 4 हजार 146 टन श्रीअन्न का निर्यात किया है, जिसका मूल्य 365.85 करोड़ रुपये है।

मोटे अनाज की उपज में भारत की हिस्सेदारी 80%

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के अकड़ों के मुताबिक भारत ने वर्ष 2021-22 में कुल 642.8 करोड़ मूल्य के श्री अन्न का निर्यात किया है, जबकि एक वर्ष पहले 2020-21 में 597.5 रुपये का था। एशिया में श्रीअन्न की उपज में भारत की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है। पिछले 5 वर्षों के दौरान भारत ने 137.10 से लेकर 180.20 टन तक मोटा अनाज पैदा किया है।

श्री अन्न क्यों बना हुआ है चर्चा का विषय ?

दुनियाभर में श्री अन्न योजना चर्चा का विषय बना हुआ है क्योकि भारत की संस्कृति की तरह मोटे अनाज में भी विविधता है। मुख्य रूप से सात तरीके के श्रीअन्न की खेती होती है, जिनमें बाजरा (पर्ल मिलेट), रागी (फिंगर मिलेट), कंगनी (फाक्सटेल), बारगु (प्रोसो), ज्वार (सोरघुम), सामा (लिटिल मिलेट), कोदो (अरका) प्रमुख हैं। भारत का जोर श्री अन्न के उत्पादन के साथ इसकी खपत बढ़ाने पर भी है। क्योंकि कुपोषण से लड़ने में श्री अन्न बहुत कारगर है। अधिक जनसंख्या वाले देशों में कुपोषण का ज़्यादा खतरा है।

श्री अन्न की प्रजातियों में प्रोटीन, फाइबर, आयरन एवं कैल्शियम का समृद्ध स्त्रोत है। यही कारण है कि मोटे अनाज को सुपरफूड भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल करके मोटापा कम करने के साथ ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन एवं दिल की बीमारियों के खतरे को भी कम किया जा सकता है।

मैं जगत पाल पिलानिया ! ई मंडी रेट्स का संस्थापक हूँ । ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों को मंडी भाव और खेती किसानी से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है।

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