पैदावार बढ़ाने के लिए DAP की बजाय इस खाद का करें इस्तेमाल, किसान हो जायेंगे ‘मालामाल’

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खेती में बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए सही उर्वरकों का चयन बेहद महत्वपूर्ण है। परंपरागत रूप से किसान डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) का इस्तेमाल फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में करते आए हैं, लेकिन लगातार इसकी बढ़ती मांग से डीएपी की उपलब्धता में कमी हो जाती है। ऐसे में सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) और यूरिया का उपयोग एक कारगर विकल्प के रूप में उभर रहा है। यदि किसान इन उर्वरकों का सही अनुपात में इस्तेमाल करें, तो यह न केवल उनकी फसल की गुणवत्ता में सुधार करेगा, बल्कि लागत को भी कम करेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।

मानसून का फायदा और फसल रकबा वृद्धि

इस वर्ष मानसून की अच्छी बारिश के कारण जिले के बांध, जलाशय और फार्म पॉन्ड में पानी की पर्याप्त उपलब्धता हुई है। इसके चलते आगामी रबी सीजन में फसल रकबे में वृद्धि की संभावनाएं हैं। इस स्थिति में किसानों को उर्वरक के विकल्पों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि वे कम लागत में अच्छी उपज प्राप्त कर सकें।

सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया का उपयोग

सहायक कृषि अधिकारी पिंटू लाल मीना के अनुसार, डीएपी की बजाय सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) और यूरिया का उपयोग किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। डीएपी के एक बैग की जगह तीन बैग SSP और एक बैग यूरिया का उपयोग करने से किसानों को अतिरिक्त पोषक तत्व मिलते हैं, जैसे कि सल्फर, जिंक, बोरोन, जो फसल के लिए बेहद फायदेमंद हैं। इसके अलावा, यह विकल्प डीएपी की तुलना में सस्ता भी है, जिससे किसानों की लागत में कमी आएगी।

पोषक तत्वों का संतुलन

किसानों द्वारा उर्वरकों के उपयोग में NPK (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) का आदर्श अनुपात 4:2:1 बनाए रखना बेहद जरूरी है। डीएपी के अत्यधिक उपयोग से इस संतुलन में कमी आ सकती है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए एसएसपी, यूरिया और एनपीके कॉम्प्लेक्स उर्वरक का मिश्रण सही विकल्प हो सकता है। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि मृदा स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।

जैविक खादों का उपयोग

भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए जैविक खाद (Organic Fertilizer) का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए। गोबर खाद, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, खली जैसे जैविक खाद न केवल मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं, बल्कि ये प्राकृतिक रूप से फसल की वृद्धि में सहायक होते हैं। इसके अलावा, किसानों को न्यू एज तरल उर्वरक जैसे नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग पर भी विचार करना चाहिए, जो न केवल सस्ते हैं बल्कि तेजी से अवशोषित भी होते हैं, जिससे फसल जल्दी और बेहतर विकसित होती है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार उर्वरकों का उपयोग

किसानों को अपनी कृषि भूमि का मिट्टी परीक्षण कराना चाहिए और इसके आधार पर उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में मिट्टी की पोषक तत्वों की कमी और आवश्यकताओं के अनुसार उर्वरक सुझाए जाते हैं, जिससे उर्वरक की बर्बादी रुकती है और भूमि की उर्वरक क्षमता भी बरकरार रहती है।

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निष्कर्ष

यदि किसान सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया के सही मिश्रण का उपयोग करते हैं, तो वे न केवल उर्वरक की लागत को कम कर सकते हैं, बल्कि उपज में भी वृद्धि कर सकते हैं। साथ ही, जैविक खाद और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार उर्वरकों का उपयोग करने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, जिससे फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। नैनो उर्वरक और कार्बनिक खाद के उपयोग से भी किसानों को बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। किसानों को डीएपी के विकल्प पर विचार करके अपनी कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ाना चाहिए।

नोट:- किसान साथियों, इस लेख में दी गई जानकारी सार्वजनिक मीडिया स्रोतों से ली गई है। आपसे अनुरोध है कि खेती बाड़ी से संबंधित किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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