खरीफ सीजन 2022-23 में DAP और यूरिया की नहीं होगी कमी, मोदी सरकार ने शुरू कर दी है ये तैयारी

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Kharif Season in India 2022-23 : खरीफ फसलों की बुवाई जून-जुलाई महीने में शुरू हो जाएगी, फसलों में उपयोग होने वाले DAP और यूरिया उर्वरक (Fertiliser) और अन्य पौष्टिक तत्वों की पूर्ति के लिए सरकार ने अग्रिम तैयारियां शुरू कर दी हैं .

जबकि इन तत्वों की जरूरत मई और सितम्बर के बीच ही पड़ती है, आने वाले खरीफ सत्र (Kharif Season) में किसानों को उर्वरकों की उपलब्धता में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े. इसलिए सरकार ने उर्वरको की समुचित एवं समयबद्ध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यूरिया और डीएपी का शुरुआती भंडार रखने का लक्ष्य रखा है.

मिडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी द्वारा दी जानकारी के अनुसार खरीफ फसलों के लिए सरकार ने उर्वरक (Fertilizer) उपलब्धता को लेकर अग्रिम तैयारियां शुरू कर दी हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार से उर्वरक एवं अन्य कच्चा माल जुटाने से यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का शुरुआती भंडार रखने में मदद मिलेगी.

भारत 45% DAP चीन से करता है आयात

सूत्रों के अनुसार खरीफ सत्र 2022 में डीएपी का शुरुआती भंडार 25 लाख टन रहने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सत्र में 14.5 लाख टन रहा था. वहीं दूसरी और अगर बात करें यूरिया की तो यूरिया का शुरुआती भंडार 60 लाख टन करने की उम्मीद की जा रही है जो पिछले सत्र से 10 लाख टन ज्यादा होगा. भारत यूरिया एवं अन्य मृदा संवर्धक तत्वों की आपूर्ति सुधारने के लिए कई देशों के साथ बातचीत कर रहा है और इसके लिए दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों की संभावना टटोल रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, महामारी (covid-19) के चलते चीन द्वारा लगाई गयी रोक के कारण उर्वरकों के आयत पर असर पड़ा है . इस स्थिति में भारत पहले से ही अपनी तैयारियों में लगा हुआ है. भारत अपनी जरूरत का 45 प्रतिशत डीएपी और कुछ यूरिया का आयात चीन से करता है. यूरिया को छोड़कर डीएपी और अन्य फॉस्फेट उर्वरकों की कीमतें निजी कंपनियां तय करती हैं. कच्चे माल की वैश्विक कीमतें बढ़ने से घरेलू स्तर पर भी डीएपी के दाम में बढ़ोतरी हुई हैं.

बीते खरीफ और रबी सीजन में किसानों को खाद की पूर्ति के लिए कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. कई राज्यों में किसान खाद के लिए प्रदर्शन करते नजर आए. वहीं दूसरी ओर खाद की पूर्ति समय पर न होने के कारण कुछ हिस्सों में बुवाई के काम में देरी हुई. ऐसी स्थिति से बचने के लिए सरकार अभी से तैयारी में लग गई है.

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मैं जगत पाल पिलानिया ! ई मंडी रेट्स का संस्थापक हूँ । ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों को मंडी भाव और खेती किसानी से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है।

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