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नरमा भाव में बढ़ोतरी नहीं होने से मंडियों में आवक बढ़ी, किसानों को दोहरा नुकसान

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हनुमानगढ़: ज़िले में इस बार नरमा-कपास उत्पादक किसानों को दोहरा नुक़सान उठाना पड़ा है। एक तरफ़ तो इस बार गुलाबी सुंडी के प्रकोप से उत्पादन में भारी गिरावट आई वहीं दूसरी तरफ़ भाव में बढ़ोतरी नहीं होने से नुकसान हो रहा है।इस बार सभी प्रमुख कृषि उपज मंडियों में नरमा के औसत बाजार भाव 6000 रुपए से 6500 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिर है।

नरमा-कपास के भावों में तेजी का इंतजार कर रहे किसानों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। जिसके चलते मंडियों में अब नरमा की आवक में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। सितंबर माह में जिले की मुख्य मंडियों में लगभग 10 हजार क्विंटल नरमा की आवक हो रही थी, जो दिसंबर लास्ट में बढ़कर 13 हजार क्विंटल के पार पहुँच गई है।

नरमा भाव की बात करें तो बीते 2-3 महीनों से इसमें ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं आया है। मंडी समिति से जुड़े लोगों के के मुताबिक़ निकट भविष्य में भी नरमा के भावों में तेजी की उम्मीद ना के बराबर ही नजर आ रही है। ऐसे में अब किसान थक हारकर मंडियों नरमा लेकर आ रहे हैं।

बीते साल के मुकाबले नरमा भाव में दो हजार की गिरावट

पिछले वर्ष की तरह इस बार भी किसानों को भावों में तेजी की उम्मीद थी। गत वर्ष दिसंबर महीने में इन दिनों नरमा के बाजार भाव 8 हजार से लेकर 8500 रुपए प्रति क्विंटल थे। जो इस बार 5500 से 6500 रुपए के करीब ही चल रहे हैं। ऐसे में किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है। पिछले साल के मंडियों के भाव यहां देखें

किसानों के अनुसार घरों में स्टोर किया गया नरमा सूख रहा है। इस कारण लगातार वजन भी कम हो रहा है। तेजी की कोई उम्मीद नहीं है। इस कारण जल्द से जल्द वे अपनी उपज मंडियों में बेचने के लिए ला रहे हैं। 15 जनवरी तक – नरमा की आवक इसी तरह रहने की उम्मीद है। व्यापारियों द्वारा मंडियों में ही खड़ी ट्रालियों में भरे नरमा के भाव लगाए जा रहे हैं। फिर संबंधित फैक्ट्री में तौल हो रहा है।

Explainer: गुलाबी सुंडी के प्रकोप से क्वालिटी डाउन हुई, इसी कारण मांग घटी, भाव नहीं बढ़ रहे

जिले में पहली बार गुलाबी सुंडी के प्रकोप से नरमा की फसलों को भारी नुकसान हुआ। 80 प्रतिशत तक फसलें खराब हो गई। गुलाबी सुंडी के प्रकोप से ही नरमा की क्वालिटी भी डाउन हो गई। इसी कारण विदेशों में भी रूई की डिमांड नहीं है। डिमांड कम होने के कारण नरमा के भावों में गिरावट आई है।

मंडी समिति से जुड़े अधिकारियों के अनुसार इस बार क्वालिटी बहुत डाउन है। नरमा की क्वालिटी डाउन है वो 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक ही बिक रहा है। इससे किसानों को भी दोहरा नुकसान हुआ है।

इस बार प्रति बीघा औसत उत्पादन भी कम हुआ है। गत वर्ष औसत उत्पादन 5 क्विंटल प्रति बीघा तक हुआ था और बाजार भाव 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक थे। इस बार उत्पादन 1 से 3 क्विंटल तक प्रति बीघा ही हुआ है। बाजार भाव भी 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक है। ऐसे में किसानों को भारी नुकसान हुआ है। अब काश्तकारों के पास भी अपनी उपज ज्यादा दिन रोकने की क्षमता नहीं रही है।

नरमा भाव और आवक

जिले में सबसे ज्यादा नरमा की आवक टाउन मंडी में हो रही है। 27 दिसंबर को टाउन मंडी में 3512 क्विंटल आवक हुई और औसत बाजार भाव 6540 रुपए प्रति क्विंटल रहे। नोहर और भादरा मंडी में पिछले कई दिनों से नरमा की आवक ना के बराबर है। जंक्शन मंडी में 2572 क्विंटल नरमा की आवक दर्ज की गई और बाजार भाव 6950 रुपए रहे।

डबलीराठान मंडी में महज 180 क्विंटल आवक हुई और 6502 रुपए प्रति क्विंटल बाजार भाव रहे। 

रावतसर मंडी में 2250 क्विंटल आवक और 6380 रुपए प्रति क्विंटल औसत बाजार भाव 6380 रुपए दर्ज किए गए। 

संगरिया मंडी में एक ही दिन में 1331 क्विंटल आवक और 6565 रुपए प्रति क्विंटल भाव रहे। 

गोलूवाला मंडी में 1880 क्विंटल नरमा की आवक हुई। पीलीबंगा में 1604 क्विंटल नरमा आया। दोनों मंडियों में नरमा के औसत बाजार भाव क्रमश: 6500 रुपए और 7100 रुपए प्रति क्विंटल रहे।

मंडियों में नरमे की आवक ज्यादा हो रही, भावों में उतार-चढ़ाव नहीं

टाउन-जंक्शन मंडियों में पिछले एक सप्ताह से नरमा की आवक में लगातार इजाफा हो रहा है। औसत बाजार भाव 6 हजार से 6500 रुपए प्रति क्विंटल तक चल रहे हैं। गत वर्ष दिसंबर महीने में नरमा के औसत बाजार भाव 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक थे।  -सीएल वर्मा, सचिव कृषि उपज मंडी समिति, हनुमानगढ़

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नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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