Wheat prices surge in india – गेहूं का बाजार तेजी की ओर बढ़ रहा है। कल शाम को दिल्ली में गेहूं की कीमत ₹10 प्रति क्विंटल बढ़कर 2,840 रुपए पर बंद हुई। निचले स्तरों पर खरीदारों की सक्रिय भागीदारी और विक्रेताओं की झिझक इस तेजी के पीछे का मुख्य कारण है। बाजार में सप्लाई सीमित हो गई है क्योंकि कमजोर स्टॉकिस्ट पहले ही अपना माल बेच चुके हैं। मिलर्स (आटा पिसाई उद्योग) को कच्चे माल की लगातार जरूरत है, जिससे कीमतों में तेजी बनी हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में गेहूं की कीमत 50 से 60 रुपए और बढ़ सकती है। जानें विस्तार से- बाजार में क्या हो रहा है, कीमतें क्यों बढ़ रही हैं, और आगे की संभावनाएं क्या हैं।
क्यों बढ़ रही हैं गेहूं की कीमतें?
गेहूं के बाजार में तेजी के पीछे कई कारण हैं। सबसे महत्वपूर्ण है- सप्लाई में कमी। बीते कुछ दिनों में जो कमजोर स्टॉकिस्ट (थोक व्यापारी) थे, उन्होंने अपना सारा माल बेच दिया है। अब मंडियों में गेहूं की आवक में भारी कमी आ गई है। दूसरा कारण यह है कि कई व्यापारी इन दिनों धान के कारोबार की तरफ मुड़ गए हैं, जिससे गेहूं की खरीद-बिक्री का दबाव और भी कम हो गया है। तीसरा कारण मिलर्स को कच्चे माल की लगातार जरूरत है, लेकिन बाजार में उपलब्ध गेहूं की मात्रा सीमित है, इसलिए विक्रेताओं को मजबूत मोलभाव का मौका मिल गया है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में गेहूं की कीमतें
कल शाम को गेहूं की कीमतों में विविधता दिख रही थी:
- दिल्ली: 2,840 रुपए प्रति क्विंटल (₹10 की बढ़ोतरी के साथ)
- नरेला: 2,800 रुपए प्रति क्विंटल
- राजकोट: 3,000 रुपए प्रति क्विंटल
- मैनपुरी: 2,511 रुपए प्रति क्विंटल
- रोहतक: 2,640 रुपए प्रति क्विंटल
- सिवानी: 2,580 रुपए प्रति क्विंटल
हालांकि, दिल्ली में ज्यादातर व्यापारी अभी भी ₹2,850 का भाव मांग रहे हैं। 2,840 रुपए पर सप्लाई सीमित है, क्योंकि विक्रेता इससे ऊपर की कीमत की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
आज सुबह कहाँ से खुला बाजार?
आज दिल्ली में गेहूं की कीमत 2,840 रुपए प्रति क्विंटल से ही खुली है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कल की तेजी बरकरार है और खरीदारों की दिलचस्पी अभी सक्रिय है। बाजार में अभी भी सीमित बिकवाली का माहौल है, जिससे कीमतें ऊपर की ओर रुख किए हुए हैं।
विक्रेता मजबूत, खरीदार कमजोर क्यों?
फिलहाल खाद्य अनाज के बाजार में विक्रेताओं का पलड़ा भारी है। कारण यह है कि:
- किसानों का दबाव नहीं: अधिकांश किसान पहले ही अपनी फसल बेच चुके हैं।
- स्टॉकिस्ट्स का संकोच: जो व्यापारी अभी स्टॉक रखे हुए हैं, वे ऊंची कीमत की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
- मिलर्स की जरूरत: आटा उद्योग को निरंतर कच्चे माल की चाहत है, लेकिन सप्लाई नहीं है।
इन कारणों से विक्रेताओं को मोलभाव का पूरा फायदा मिल रहा है।
सरकारी ओपन मार्केट सेल स्कीम का असर?
सरकार की ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत नीलामी से फिलहाल बाजार पर कोई बड़ा असर नहीं दिख रहा। क्योंकि प्राइवेट ट्रेडर्स की खरीद की जरूरत अभी भी मजबूत है। सरकारी आपूर्ति और निजी खरीद-बिक्री दोनों एक साथ चल रहे हैं, लेकिन कुल सप्लाई का असर पर्याप्त नहीं है।
क्या गेहूं कीमत 2,900 के लेवल तक पहुंचेगी ?
मंडी मार्केट मीडिया और व्यापारियों का अनुमान है कि गेहूं की कीमत में और 50–60 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो सकती है। यानी कीमतें 2,900 रुपए के करीब जा सकती हैं। इसके पीछे कारण है:
- सीमित आपूर्ति: नई फसल अभी 4–5 महीने दूर है।
- मिलर्स की निरंतर मांग: आटा पिसाई उद्योग के लिए कच्चे माल की कोई कमी नहीं है।
- धान सीजन की ओर ध्यान: कई व्यापारी धान की ओर मुड़ गए हैं, जिससे गेहूं की सप्लाई और भी सीमित हो रही है।
खरीदारी का माहौल अभी मजबूत
बाजार में खरीद की धारणा मजबूत बनी हुई है। यह संकेत दे रहा है कि आने वाले दिनों में मांग बनी रहेगी। अगर सप्लाई में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, तो कीमतें धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ती रह सकती हैं। व्यापारियों की नजर अब अगले क्रॉप सीजन पर है, जब नई फसल बाजार में आएगी।
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डिस्क्लेमर – व्यापार आपने विवेक से करें।








