बीते सप्ताह देश के प्रमुख बाजारों में चना के भाव में स्थिरता के साथ हल्की मजबूती दर्ज की गई। दिल्ली और जयपुर मंडी में सोमवार को चना की शुरुआत 5775 से 5800 रुपये प्रति क्विंटल पर हुई थी, जो शनिवार शाम तक 5800 से 5825 रुपये पर बंद हुआ। यानी पूरे सप्ताह के दौरान चना में करीब 25 रुपये की मजबूती देखने को मिली।
विशेषज्ञों के मुताबिक, चना दाल और बेसन की मांग बनी रहने से बाजार में सपोर्ट मिला है। हालांकि, दाल की थोक खरीदी में फिलहाल तेजी नहीं दिख रही, जिससे मिलर्स केवल जरूरत के अनुसार ही माल उठा रहे हैं। एक मिलर ने बताया, “चना सस्ते में मिल नहीं रहा और ऊँचे दाम पर दाल की बिक्री कमजोर है – ऐसे में हम संभलकर खरीदी कर रहे हैं।”
आवक घटने के संकेत, आगे और मजबूती संभव
त्रों के अनुसार, चना की आवक अब धीरे-धीरे घटने लगी है क्योंकि फसल की प्रमुख आवक अवधि खत्म हो चुकी है। इससे आने वाले समय में भावों में और मजबूती देखी जा सकती है। साथ ही स्टॉकिस्टों की सक्रियता और सरकार की खरीदी सुस्ती भी बाजार को सपोर्ट दे रही है।
नीचे उन कारणों पर नज़र डालिए जिनकी वजह से चना में मजबूती का रुख बना हुआ है:
- स्टॉकिस्टों की बढ़ती खरीदारी
- सरकार के बफर स्टॉक में गिरावट
- MSP से ऊपर भाव होने से सरकारी खरीदी में रुचि कम
- चना पर 10% आयात शुल्क लागू
- ऑस्ट्रेलिया और तंज़ानिया में कमजोर फसल अनुमान
- विदेशी मटर आयात में गिरावट
क्या चना में और तेजी आएगी?
वर्तमान परिस्थिति में अगर चना भाव में अप्रत्याशित तेजी आती है, तो सरकार के पास हस्तक्षेप करने के कई विकल्प मौजूद हैं। साथ ही मटर एक विकल्प के रूप में सामने आ सकता है, जिससे चना की अत्यधिक तेजी पर ब्रेक लग सकता है।
क्या करें किसान और व्यापारी?
अगर आपके पास स्टॉक में चना है तो 5700 रुपये का स्तर मजबूत सपोर्ट की तरह काम कर सकता है। नई खरीदी की योजना बना रहे व्यापारियों के लिए सलाह है कि अगले सप्ताह के अंत तक बाजार पर नज़र बनाए रखें और स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही कोई निर्णय लें। विश्लेषकों का मानना है कि अगर दिल्ली चना 5950 रुपये का रेजिस्टेंस तोड़ता है, तो इसमें एक नई मजबूती देखी जा सकती है।
नोट – व्यापार अपने विवेक से ही करें।
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