नई दिल्ली : गेहूं की सरकारी खरीद में अपेक्षित बढोत्तरी नहीं हो रही है। मंडियों में गेहूं की आवक भी लगातार घटती जा रही है। जिससे संकेत मिलता है कि इसका वास्तविक उत्पादन कृषि मंत्रालय के अनुमान से काफी कम हुआ है। जहां तक धान चावल का सवाल है तो इसकी पैदावार और सरकारी खरीद लगभग सामान्य रहने की उम्मीद है। लेकिन अब अलनीनो मौसम चक्र की आशंका को देखते हुए इसका अगला उत्पादन कमजोर रहने की संभावना है। इससे केन्द्र सरकार को गेहूं तथा चावल के निर्यात की नीति में कोई बदलाव करने से पूर्व अनेक बार सोचना पड़ेगा।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि चालू वर्ष के दौरान कुछ महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्यों में विधान सभा का चुनाव होने वाला है। निर्यात नीति को उदार बनाए जाने पर गेहूं तथा चावल का दाम बढ़ सकता है। जिससे आम उपभोक्ताओं को कठिनाई होगी। वैसे ही तुवर एवं उड़द के ऊंचे दाम से सरकार परेशान है।
आगामी महीनों में घरेलू प्रभाग में कीमतों में होने वाली किसी भी बढ़ोत्तरी के प्रभाव से आम उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार गेहूं तथा इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों आटा, मैदी एवं सूजी आदि के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के पक्ष में नहीं हैं। मालूम हो कि गेहूं के व्यापारिक निर्यात पर एक साल से पाबंदी लगी हुई है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार गेहूं तथा इसके उत्पादों के निर्यात पर लगी रोक को हटाने पर कोई विचार नहीं कर रही है।
इसी तरह सितम्बर 2022 में गैर बासमती संवर्ग के कच्चे (सफेद) एवं स्टीम चावल के निर्यात पर जो 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाया गया था। उसे भी बरकरार रखे जाने की संभावना है। अप्रैल 2023 के दौरान गेहूं तथा चावल के खुदरा मूल्य की महंगाई दर क्रमश: 15.46 प्रतिशत एवं 11.37. प्रतिशत दर्ज की गई।
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आपूर्ति की स्थिति सुधारने के लिए भंडारण सीमा लागू करने का विकल्प खुला हुआ है। जहां तक चावल का सवाल है तो कुछ खास किस्मों पर सीमा शुल्क लागू होने के बावजूद भारतीय चावल अब भी वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी मूल्य स्तर पर उपलब्ध है। इसलिए निर्यात नियंत्रणों में किसी प्रकार की रियायत दिए जाने की संभावना नहीं बन रही है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान से लगभग 220 लाख टन चावल का शानदार निर्यात हुआ जिससे इसकी आमदनी उछलकर 11.10 अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई जो पिछले वित्त वर्ष (2021- 22) से 15 प्रतिशत अधिक रही। 100 प्रतिशत टूटे चावल के निर्यात प्रतिबंध लगा हुआ है।