नई दिल्ली: तेल मिलों की सीमित खरीद होने के कारण घरेलू बाजार में सोमवार को सरसों की कीमतें स्थिर हो गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 5,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। होली के त्योहार के कारण मिलों की खरीद कमजोर रही।
जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें सोमवार को 30-30 रुपये कमजोर होकर भाव क्रमशः 11150 रुपये और 11050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान सरसों खल की कीमतें 2400 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही।
होली के बाद क्या रहेगा सरसों का भाव
व्यापारियों के अनुसार त्योहार के कारण व्यापार कमजोर रहा। मौसम साफ रहा तो होली के बाद उत्पादक मंडियों में सरसों की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी होगी। विदेशी बाजार में आज खाद्य तेलों के दाम कमजोर हुए हैं, लेकिन मलेशिया में प्रतिकूल मौसम से आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है।
जानकारों के अनुसार होली के बाद कई राज्यों से सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद शुरू होने की उम्मीद है, जिससे इसके भाव में सुधार आने का अनुमान है।
सरकार बढ़ा सकती है पाम तेल के आयात पर शुल्क
जानकारों के अनुसार घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों में गिरावट रोकने के लिए केंद्र सरकार पाम तेल के आयात पर शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रहा है। अत: आयात शुल्क में बढ़ोतरी से इसकी कीमतों में सुधार आयेगा। विश्व बाजार में खाद्य तेलों के दाम घटने के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी से मलेशिया में पाम तेल के भाव में गिरावट दर्ज की गई।
विदेशी बाजारों की स्थिति
बर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज बीएमडी पर मई डिलीवरी वायदा अनुबंध में पाम तेल के भाव 74 रिंगिट या 1.7 फीसदी कमजोर होकर 4,278 रिंगिट प्रति टन रह रह गए। इस दौरान डालियान का सबसे सक्रिय सोया तेल अनुबंध 0.69 फीसदी कमजोर हुआ, जबकि इसका पाम तेल वायदा अनुबंध 1.83 फीसदी तक घट गया। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में सोया तेल की कीमतें 0.64 फीसदी नीचे थीं।
इतनी रही सरसों की दैनिक आवक
देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक सोमवार को 7 लाख बोरियों की हुई, जबकि इसके पिछले कारोबारी दिवस में इसकी आवक 12.50 लाख बोरियों की हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में 3.50 लाख बोरी, मध्य प्रदेश की मंडियों में 90 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 75 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 35 हजार बोरी तथा गुजरात में 25 हजार बोरी, तथा अन्य राज्यों की मंडियों में 1.25 लाख बोरियों की आवक हुई।