गेहूं की नई वैरायटी: हिसार यूनिवर्सिटी द्वारा रिलीज़ की गई नई गेहूं वेरायटी WH1270 का सर्टिफाइड बीज अब किसानों को वितरण के लिए उपलब्ध है। कृषि विभाग ने अब तक 1350 क्विंटल बीज का वितरण किया है, जबकि कुल 6000 क्विंटल बीज देने का लक्ष्य रखा गया है।
हिसार यूनिवर्सिटी से रिलीज़ की गई WH1270 गेहूं की नई वेरायटी का सर्टिफाइड बीज अब कृषि विभाग द्वारा किसानों को दिया जा रहा है। कृषि विभाग ने 11 स्टॉल पर 1350 क्विंटल बीज वितरित किया जा चुका है, और आगामी समय में बीज की सप्लाई बढ़ाने की योजना है। इस वर्ष का कुल लक्ष्य 6000 क्विंटल बीज वितरण का है। ध्यान रहे कि केवल पंजीकृत किसान ही इस बीज का लाभ उठा सकते हैं।
WH1270 वेरायटी की विशेषताएँ
WH1270 गेहूं की यह वेरायटी 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार करने की क्षमता रखती है, जो किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। इसके अलावा, कृषि विभाग ने आई.आर.आई. न्यू दिल्ली से HD सीरीज 3385 और 3386, और भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल से DBW 371, 372, और 327 वेरायटी को भी किसानों को उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। पिछले साल की DBW 222, DBW 303, और DBW 187 वेरायटी भी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
कृषि विभाग का वितरण योजना
कृषि विभाग द्वारा पोस्ट मशीन के माध्यम से बीज वितरित किया जा रहा है। पंजीकृत किसान इस बीज को डीबीटी प्रक्रिया के तहत छूट के साथ प्राप्त कर सकते हैं। बीज वितरण नवंबर के पहले सप्ताह से दिसंबर के पहले सप्ताह तक किसानों को लगाने की सलाह दी गई है।
कृषि विभाग के सभी स्टोर पर बीज पोस मशीन के माध्यम से वितरित किया जा रहा है। पंजीकृत किसान अपना अंगूठा लगाकर बीज ले सकते हैं और डीबीटी प्रक्रिया को खत्म करते हुए मौके पर ही छूट के साथ बीज दिया जाएगा।
भविष्य में बीज वितरण बढ़ने की संभावना
कृषि विभाग के उप कृषि निदेशक डॉ. राकेश कुमार ने मीडिया को बताया कि इस वर्ष सहारनपुर में किसानों को WH1270 का सर्टिफाइड बीज दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य लगभग 6000 क्विंटल बीज किसानों को वितरित करना है, और जैसे-जैसे किसानों की डिमांड बढ़ेगी, हम बीज की सप्लाई बढ़ाते जाएंगे।”
निष्कर्ष : हिसार यूनिवर्सिटी की नई गेहूं वेरायटी WH1270 के सर्टिफाइड बीज से किसानों को फसल उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है। कृषि विभाग के द्वारा बीज वितरण की योजना से किसानों को बेहतर पैदावार प्राप्त करने में मदद मिलेगी और वे जैविक खेती के लाभ उठा सकेंगे।