सरकार ने 2023-24 में 341.5 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया

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नई दिल्ली : भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने कहा है कि मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद आरम्भ हो गयी है जबकि 1 अप्रैल से देश के कई अन्य राज्यों में समर्थन मूल्य पर खरीद की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। खाद्य मंत्रालय द्वारा दी जानकारी के मुताबिक़ इस बार 341.5 लाख टन गेहूं की खरीद का आरंभिक लक्ष्य तय किया है जिसे आसानी से हासिल का भरोसा जताया है।

गेहूं खरीद को लेकर जानकारों की राय

हालांकि गेहूं की सरकारी ख़रीदी पर विशेषज्ञों ने सरकार को सुझाव दिया है कि सरकार को अपनी गेहूं खरीद (wheat procurement) की रणनीति में कुछ सावधानी बरतनी चाहिए खासकर यह देखते हुए कि मध्य प्रदेश में पहले दिन (27 मार्च को) केवल 10,727 टन की खरीद संभव हो सकी जबकि वहां 5.60 लाख टन गेहूं की आवक हुई थी । जानकारों के मुताबिक किसान खुले बाजार में गेहूं की बिक्री को प्राथमिकता दे रहे हैं।

फ़िलहाल गेहूं के निर्यात से नहीं हटेगा प्रतिबंध

एफसीआई के चेयरमैन का कहना है कि जब तक सरकार घरेलू आपूर्ति के लिए पर्याप्त खरीद से संतुष्ट नहीं हो जाएगी तब तक गेहूं के निर्यात पर लगे प्रतिबन्ध को नहीं हटाया जायेगा।

उन्होंने कहा कि हाल कि वर्षा से गेहूं की फसल प्रभावित नहीं होगी और इसका घरेलू उत्पादन केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा लगाए गये अनुमान 1121.80 लाख टन के नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।

मालूम हो कि पिछले रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद 433.42 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर की तुलना में 56 प्रतिशत कम रही थी। इसके फलस्वरूप केंद्रीय पूल में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का स्टॉक घटकर काफी नीचे आ गया है।

गेहूं खरीद तय लक्ष्य की प्राप्ति जरूरी

पिछले साल इसका घरेलू बाजार भाव काफी ऊंचा रहा और जनवरी 2023 में तो यह उछलकर 3200 रुपए प्रति क्विटल के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। इसे देखते हुए सरकार के लिए इस बार गेहूं की विशाल मात्रा की खरीद करना अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है।

यह सही है कि हाल के सप्ताहों में गेहूं के दाम में भारी गिरावट आई लेकिन फिर भी यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (2125 रुपए प्रति क्विटल) से कुछ ऊंचा चल रहा है। इससे एफसीआई एवं प्रांतीय एजेंसियों को इसकी खरीद में आगे भी कठिनाई हो सकती है। लेकिन खाद्य निगम को भरोसा है कि अप्रैल-मई में जब नये माल की जोरदार आवक सभी उत्पादक राज्यों में होगी तब उसे इसकी खरीद बढ़ाने में सफलता मिलेगी।

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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