Wheat Price Hike: गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार को आयात शुल्क हटाने का सुझाव

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नई दिल्ली: घरेलू बाजार में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में आ रही तेजी को रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने हाल ही में 31 मार्च 2024 तक के लिए स्टॉक लिमिट लगाते हुए केन्द्रीय पुल से खुले बाजार में 15 लाख टन का स्टॉक उतारने की घोषणा की थी। लेकिन अब लग रहा है कि सरकार द्वारा उठाये इन कदमों का असर गेहूं की बढ़ती कीमतों पर नहीं पड़ने वाला है। इसे देखते हुए सरकार ने बाजार के विश्लेषकों से सलाह मशविरा लेना शुरू कर दिया है।

आई ग्रेन इंडिया द्वारा जारी जानकारी के मुताबिक़ इस पर कुछ विशेषज्ञों ने सरकार को गेहूं के आयात पर लगे 40% के सीमा शुल्क को स्थगित रखने का सुझाव दिया है। जिससे देश में आपूर्ति-उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में आगे किसी तेजी को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है।

वैश्विक बाजार में गेहूं का भाव घटकर काफी नीचे आ गया है। यदि विदेशों से शुल्क मुक्त गेहूं की एक-दो खेप भी भारतीय बंदरगाहों पर पहुंचेगी तो घरेलू बाजार काफी हद तक टूट सकता है। 

भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पूर्व सीएमडी तथा भूतपूर्व केन्द्रीय सचिव का कहना है कि आगे बढ़ते हुए सरकार शून्य शुल्क पर कोई आयात की अनुमति देने पर विचार कर सकती है ताकि प्राइवेट व्यापारी इसे बाहर से मंगा सके।

इससे खाद्य महंगाई को नियंत्रित करना आसान होगा। सरकार को खासकर यह ध्यान रखना चाहिए कि अल नीनो मौसम चक्र के प्रभाव से इस वर्ष मानसून की बारिश कम हो सकती है। 

19 जून की देर शाम को आयोजित विभिन्न पक्षकारों की बैठक के दौरान खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों को उद्योग प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार को खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत गेहूं का आरक्षित मूल्य बढ़ाकर 2350 रुपए प्रति क्विंटल के व्यवहारिक स्तर पर नियत करना चाहिए और परिवहन का खर्च अलग होना चाहिए।

इसके साथ-साथ विदेशों से गेहूं के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति भी देनी चाहिए। जब तक समूचे देश में 2125 रुपए प्रति क्विंटल एवं 2150 रुपए प्रति क्विंटल का समान आरक्षित मूल्य प्रचलित रहेगा तक तक प्रोसेसर्स बाहर से इसका आयात नहीं कर पाएगा।

 आमतौर पर एक फ्लोर मिलर को प्रतिमाह 3000 टन गेहूं की जरूरत पड़ती है। जबकि सरकार की ओर से अधिकतम 200 टन गेहूं प्रति माह दिया जाएगा क्योंकि प्रत्येक पखवाड़े गेहूं की नीलामी होगी और एक नीलामी में एक मिलर अधिक से अधिक 100 टन ही गेहूं खरीद सकता है।   

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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