गेहूं – बाजार में मजबूती बरकरार
अक्टूबर से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री की योजना थी, लेकिन खाद्य मंत्रालय की पिछली बैठक में यह तय किया गया कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक यानी 31 मार्च तक सिर्फ पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के तहत ही गेहूं की बिक्री की जाएगी।
इस नीति के अनुसार, 35 लाख मीट्रिक टन गेहूं सस्ते दरों पर वितरित किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, खुले बाजार में गेहूं की उपलब्धता घट गई है और फ्लोर मिलों की मांग तेजी से बढ़ी है। यही वजह है कि गेहूं की कीमतों में 50-60 रुपए का उछाल आया है, जिससे इसका भाव बढ़कर 3210-3220 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में इसके दामों में गिरावट की संभावना बहुत कम है।
बारीक चावल – भाव में स्थिरता, लेकिन मांग में सुधार
देश की प्रमुख मंडियों में धान की आवक प्रतिदिन करीब 40-45 लाख बोरी है। इस बीच घरेलू और निर्यात मांग बढ़ने से बासमती प्रजाति के चावल, खासकर 1509 किस्म में 100 रुपए का उछाल देखने को मिला है। पिछले 20-22 दिनों में यह भाव करीब 300 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ चुका है।
हरियाणा और पंजाब में मौसम साफ होने से धान की आवक में 50% तक की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में इस बार चावल की कीमतें काफी कम हैं। मौजूदा हालात में, निवेशकों के लिए इन भावों पर कोई जोखिम नहीं दिखाई दे रहा है।
विश्लेषण
मौजूदा नीतियों और मांग-आपूर्ति के समीकरण के कारण गेहूं और बारीक चावल दोनों में तेजी का रुझान देखा जा रहा है। सरकारी योजनाओं का असर बाजार पर सीधा पड़ा है, और किसानों को इसका लाभ मिल सकता है।
डिस्क्लेमर – व्यापार खुद के विवेक से करें। किसी भी प्रकार के नफे या नुकसान (nafa nuksan) की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।