ताज़ा खबरें:

गेहूं में पीलापन दिख रहा है? PAU के एक्सपर्ट्स ने बताए 6 गारंटीड उपाय, कम खर्चे में होगी अच्छी पैदावार

Jagat Pal

Google News

Follow Us

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

पंजाब/हरियाणा: अगर आपके खेतों में गेहूं की फसल पीली (Gehu Me Pilapan) पड़ गई है तो घबराइए मत, जल्दबाजी में कीटनाशक स्प्रे करना भी नहीं। दरअसल, हर साल सर्दियों में ये समस्या भारी मिट्टी से लेकर रेतीले खेतों तक में दिखती है और ज्यादातर किसान इसे बीमारी समझकर महंगा कीटनाशक छिड़क देते हैं—जिससे लागत बढ़ती है, लेकिन समस्या जस की तस रहती है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) की विशेषज्ञ टीम ने इसके असली कारण और बिलकुल फ्री से लेकर किफायती समाधान बताए हैं।

पीले पड़ने के पीछे 6 बड़े कारण—कौन सा है आपके खेत में?

Punjab Agricultural University की असिस्टेंट प्रोफेसर (एग्रोनॉमी) प्रभजीत कौर ने ‘द ट्रिब्यून’ से बातचीत में बताया कि गेहूं के पीले पड़ने के आठ में से छह कारण आपके खेत में मौजूद हैं—बस पहचानना है। इनमें पोषक तत्वों की कमी, पानी का संकट, मिट्टी की सेहत, कीड़ों का हमला और पीली रतुआ बीमारी शामिल है।

मौसम का खेल और पानी का संतुलन

अक्सर दिसंबर में तापमान का अचानक गिरना या लगातार कोहरा पत्तियों का रंग बदल देता है। प्रभजीत कौर कहती हैं, ये अस्थाई है—कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन असली समस्या तो पानी की है। अगर आपकी सिंचाई रुक-रुक कर हो रही है या ट्यूबवेल का पानी खारा है, तो गेहूं की जड़ें ऑक्सीजन से वंचित होकर पीली पड़ जाती हैं। खासकर भारी मिट्ठी में ये जलभराव की समस्या जानलेवा है।

कैसे बचें पानी से होने वाले पीलापन से?

भारी मिट्टी वाले किसानों के लिए स्पेशल टिप: प्रति एकड़ आठ प्लॉट बनाएं और रुके हुए पानी को तुरंत निकालने का इंतजाम करें। हल्की मिट्टी वाले 16 प्लॉट बनाएं।

खारे पानी वाले ध्यान दें: पहले पानी की जांच कराएं। अगर खारापन है, तो [gypsum] डालें और खारे पानी को अच्छे क्वालिटी के पानी के साथ मिलाकर इस्तेमाल करें। याद रखें, जिप्सम हमेशा सिंचाई के बाद ही डालना चाहिए।

पोषक तत्वों की कमी—सबसे बड़ा साइलेंट किलर

नाइट्रोजन की कमी: ये सबसे आम है। पुराने पत्ते सिरे से नीचे की ओर पीले हो जाते हैं। समाधान? मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के हिसाब से यूरिया [urea] से ठीक करें। खारी या क्षारीय मिट्टी में 25 प्रतिशत अतिरिक्त नाइट्रोजन मिलाएं।

जिंक की कमी: पौधे छोटे रह जाते हैं, बीच की पत्तियां सफेद धारियों के साथ पीली पड़ जाती हैं। बचाव? बुवाई के समय प्रति एकड़ 25 किलो जिंक सल्फेट डालें या ग्रोथ के दौरान 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का घोल स्प्रे करें।

मैंगनीज की कमी: पत्तियों की नसों के बीच पीलापन, ग्रे या गुलाबी धारियां। ये हल्की मिट्टी और गेहूं-चावल की खेती में आम है। पहली सिंचाई के बाद मैंगनीज सल्फेट का छिड़काव करें।

सल्फर की कमी: नई पत्तियां पीली, पुरानी हरी। रेतीली मिट्टी में ये आम है। प्रति एकड़ जिप्सम या बेंटोनाइट सल्फर डालें।

कीड़ों का खतरा—दीमक से लेकर नेमाटोड्स तक

पीएयू के प्लांट पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के हरविंदर सिंह बुट्टर ने बताया कि कीड़े और बीमारियां भी पीलापन पैदा करते हैं। बुवाई के बाद दीमक के हमले से पौधे पीले होकर सूख जाते हैं और आसानी से उखड़ जाते हैं। खासकर रेतीली मिट्टी में ये खतरा ज्यादा है। बचाव के लिए बुवाई से पहले बीज का उपचार करें या नम रेत में फिप्रोनिल या क्लोरपाइरीफॉस मिलाकर लगाएं।

PAU के एक्सपर्ट संजीव कुमार कटारिया ने चेतावनी दी है कि गुलाबी तना छेदक के लार्वा तनों में छेद कर देते हैं, जिससे पौधे पीले पड़ जाते हैं और बीच का हिस्सा सूख जाता है। इससे बचने के लिए संक्रमित खेतों में अक्टूबर में बुवाई न करें, दिन में सिंचाई करें और अगर संक्रमण ज्यादा हो तो बताए गए कीटनाशकों का इस्तेमाल करें।

नेमाटोड्स की चुपचाप चोट: ये छोटे रह जाते हैं, जड़ों में गांठें बनाते हैं और पैदावार कम करते हैं। मई-जून में खेतों की गहरी जुताई, इन्फेक्टेड इलाकों में गेहूं न बोना और बुवाई के समय फ्यूराडान डालना जरूरी है।

पीली रतुआ—सबसे बड़ा फफूंदी खतरा

पीली रतुआ बीमारी ठंडी, नम स्थितियों में फैलती है। पत्तियों पर पीले पाउडर जैसे दाने बनते हैं। बचाव के लिए प्रतिरोधी किस्में बोएं, दिसंबर के मध्य से निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर कैप्तान + हेक्साकोनाज़ोल, टेबुकोनाज़ोल, ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन+टेबुकोनाज़ोल, एज़ोक्सीस्ट्रोबिन कॉम्बिनेशन, या प्रोपिकोनाज़ोल जैसे फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।

एक्सपर्ट ने साफ कहा—स्प्रे केवल प्रभावित हिस्सों पर ही करें और जरूरत के हिसाब से दोहराएं।

एक्सपर्ट की सलाह—क्या करें और क्या न करें

जरूर करें:

  • पीलापन दिखते ही मिट्टी परीक्षण और पानी जांच
  • संतुलित [fertilizer management]—नाइट्रोजन, जिंक, मैंगनीज, सल्फर
  • कीड़ों और बीमारियों की हफ्ते में एक बार चेकिंग
  • भारी मिट्टी में प्लॉट सिस्टम, रेतीली में मल्चिंग

कभी न करें:

  • कारण जाने बिना जल्दबाजी में कीटनाशक स्प्रे
  • नाइट्रोजन की कमी को बीमारी समझकर इलाज
  • खारे पानी का बिना जांचे इस्तेमाल
  • संक्रमित खेत में अक्टूबर में गेहूं बोना

ये भी पढ़े –

डिस्क्लेमर – कृषि विभाग के विशेषज्ञों से सलाह लेकर ही कोई भी कदम उठाना बेहतर रहेगा।

नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 6 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now