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एक देश-एक फर्टिलाइजर योजना: “भारत” ब्रांड के तहत बिकेंगे अब देश में सभी उर्वरक-केंद्र सरकार

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नई दिल्‍ली : उर्वरकों की चोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जन उर्वरक परियोजना के तहत देश में “एक देश-एक फर्टिलाइजर” योजना लागू करने जा रही है। देश में 2 अक्‍टूबर 2022 से One Nation-One Fertilizer के तहत सभी तरह के उर्वरक एक ही ब्रांड नाम ‘भारत’ से बिकेंगे। देश भर में फर्टिलाइजर ब्रांड्स में समानता लाने के लिए सरकार यह योजना लाई है। सरकार ने आदेश जारी कर सभी कंपनियों को अपने उत्पादों को ‘Bharat’ नाम के सिंगल ब्रांड नाम से बेचने का आदेश दिया है।

प्रधानमंत्री जन उर्वरक परियोजना के तहत आगामी रबी सीजन से किसानों को एक जैसी खाद मिलेगी। जोकि कंपनियों के नाम की बजाय भारत ब्रांड नाम से जानी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत यूरिया, डीएपी, एमओपी और एनपीके ‘भारत’ ब्रांड के नाम से उपलब्ध होंगे। केंद्र ने यह निर्देश सभी उर्वरक कारखानों, ट्रेडिंग और मार्केटिंग कंपनियों को दिया है।

मुख्य बिन्दु

क्या है एक देश-एक फर्टिलाइजर योजना?

देश में उर्वरकों की चोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जन उर्वरक परियोजना के तहत “एक देश-एक फर्टिलाइजर” योजना लागू जा रही है। एक देश एक उर्वरक के तहत अब खाद की भारत निर्मित नयी पेकिंग आएगी।

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ऐसे रुकेगी फर्टिलाइजर कालाबाजारी और चोरी

एक राष्ट्र एक उर्वरक: ‘भारत’ ब्रांड के तहत खाद बिकने से फर्टिलाइजर चोरी को घटाने में मदद मिलेगी। खाद की बोरी पर एक साइड के दो तिहाही हिस्से पर नए ब्रांड और लोगो का उल्लेख होगा। बाकी एक तिहाई में कंपनी अपना ब्यौरा और निर्धारित तथ्य प्रिंट करेगी। प्रत्येक बोरी पर प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक योजना (PMBJP) छपा रहेगा। इससे चोरी रोकने में मदद मिलेगी। यदि कालाबाजारी होती है तो भी जल्द पकड़ा जा सकेगा।

पुरानी बोरियों को खपाने की डेडलाइन तय

एक देश एक उर्वरक: सभी कंपनियों से कहा गया है कि वे 19 सितंबर, 2022 के बाद पुरानी डिजाइन और लोगो वाली बोरियों की खरीद न करें। नए ब्रांड के फर्टिलाइजर दो अक्टूबर 2022 से बाजार में उतारे जाएंगे। कंपनियों को अपनी पुरानी बोरियों को खपाने के लिए 21 दिसंबर 2022 तक का समय दिया गया है।

“भारत” ब्रांड से कंपनियां नहीं खुश

सरकार के इस कदम से उर्वरक कंपनियां खुश नहीं है। उनका कहना है कि सभी कंपनियों के उत्‍पाद का ब्रांड नेम एक जैसा होने से उनकी ब्रांड वेल्यू खत्‍म हो जाएगी। उर्वरक कंपनियां किसानों में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए बहुत सारी गतिविधियां करती हैं। इन गतिविधियों में उनके ब्रांड को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाता है, जिससे कि कंपनी के ब्रांड का प्रचार हो। लेकिन अब एक ब्रांड नेम होने से कंपनियों को अपने उत्‍पादक के प्रचार में कठिनाइयों का सामना करना होगा।

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नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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