खाद्य तेल का भाव घटने से तिलहनों की कीमतों में आई भारी गिरावट, कम भाव से किसान निराश

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नई दिल्ली : खाद्य तेल आई गिरावट से तिलहनों की कीमतों में भारी गिरावट आई है । निर्यातक देशों में भाव घटने से भारत में सस्ते खाद्य तेलों और खासकर आरबीडी पामोलीन की विशाल मात्रा का आयात हो रहा है जिससे स्वदेशी खादय तेल एवं तिलहन फसलों की कीमतों पर दबाव काफी बढ़ गया है।

इंदौर स्थित संस्था- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन का कहना है कि वर्तमान तेल आयात नीति से तिलहन उत्पादक किसान काफी निराश एवं हतोत्साहित हैं। खाद्य तेलों के आयात पर सीमा शुल्क की दर काफी नीचे है जबकि वैश्विक बाजार में भी इसका भाव घटकर काफी नीचे आ गया है।

भारत को खाद्य तेलों की अपनी घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए विदेशों से विशाल मात्रा में खाद्य तेल मंगाना पड़ता है। खाद्य तेलों के आयात पर देश की निर्भरता अब भी 56 प्रतिशत के करीब है। देश में करीब 240-250 लाख टन खाद्य तेल की वार्षिक खपत होती है।

इंडोनेशिया एवं मलेशिया से औसतन 80 लाख टन पाम तेल का सालाना आयात होता है जबकि अर्जेन्टीना-ब्राजील से सोयाबीन तेल तथा यूक्रेन रूस से सूरजमुखी तेल मंगाया जाता है। सस्ते खादय तेलों के भारी-भरकम आयात के दबाव से रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन-सरसों का थोक मंडी भाव घटकर सरकारी समर्थन मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल से काफी नीचे आ गया है।

हालांकि दो वर्षों के बाद सरकार ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों खरीदने का फैसला किया है और खरीद की प्रक्रिया आरंभ भी कर दी है। लेकिन इसके बावजूद कीमतों में ज्यादा सुधार नहीं देखा जा रहा है क्योंकि खाद्य तेलों का दाम बहुत नीचे आने से मिलर्स एवं व्यापारी ऊंचे भाव पर इसकी खरीद करने से हिचक रहे हैं।

राजस्थान के एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र- भरतपुर में सरसों का भाव घटकर अब 5100/5200 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है, जो न केवल समर्थन मूल्य से 250-350 रुपए प्रति क्विंटल कम है बल्कि पिछले दो वर्षों का सबसे निचला स्तर भी है।

पाम तेल सहित अन्य खाद्य तेलों के सस्ते आयात से घरेलू प्रभाग ने स्वदेशी खाद्य तेलों की कीमत भी काफी नीचे आई है। भरतपुर ऑयल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि स्वदेशी स्रोतों से प्राप्त खाद्य तेलों में सरसों तेल की भागीदारी सर्वाधिक करीब 40 प्रतिशत और सोयाबीन तेल की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत रहती है। इसके अलावा मूंगफली तेल का योगदान 7 प्रतिशत रहता है जबकि शेष योगदान अन्य खाद्य तेलों का होता है।

मैं जगत पाल पिलानिया ! ई मंडी रेट्स का संस्थापक हूँ । ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों को मंडी भाव और खेती किसानी से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है।

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