खरीफ फसलों की बुआई का रकबा 0.94% घटा, कपास व मोटे अनाज की बुआई का क्षेत्रफल घटा जबकि दलहन एवं गन्ने का बढ़ा

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नई दिल्ली : कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन फसलों की बुआई 3 जून 2022 तक देशभर में 69.15 लाख हेक्टयेर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अविध के 70.09 लाख हेक्टेयर में हुई थी। बुआई का क्षेत्र 0.94% प्रतिशत कम है.

कपास की बुआई का रकबा घटा

शुरूआती चरण में कपास की बुआई 18 फीसदी पिछड़ी, उत्तर भारत के राज्यों में नहरी पानी का रहा अभाव बढ़ी हुई कीमतों के कारण चालू खरीफ में देशभर के राज्यों में कपास की बुआई में बढ़ोतरी का अनुमान तो है, लेकिन शुरूआती चरण में प्रमुख उत्पादक राज्यों में इसकी बुआई 17.96 फीसदी घटकर केवल 10.73 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में 13.08 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

उत्तर भारत के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों हरियाणा में कपास की बुआई अभी तक 5.90 लाख हेक्टेयर में, पंजाब में 2.31 लाख हेक्टेयर में और राजस्थान में 1.54 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है। जानकारों के अनुसार इन राज्यों में कपास की बुआई का उपयुक्त समय 15 मई तक होता है तथा किसान 20 से 25 मई तक बुआई करते हैं। चालू सीजन में नहरों में पानी समय से नहीं छोड़ा गया, जिस कारण किसान कपास की बुआई नहीं कर पाये। कर्नाटक में चालू खरीफ में कपास की बुआई 0.72 लाख हेक्टेयर में हुइ है।

दालों की बुआई

दालों की बुआई चालू खरीफ में 1.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.81 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। खरीफ की प्रमुख दलहन अरहर की बुआई चार हजार हेक्टेयर में, उड़द की 22 हजार हेक्टेयर में और मूंग की 28 हजार हेक्टेयर में तथा अन्य दालों की 54 हजार हेकटेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुआई

मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में शुरूआती चरण में घटकर 1.70 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में 1.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। खरीफ मक्का की बुआई 1.53 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.60 लाख हेक्टेयर से कम है तिलहनी फसलों की बुआई 37 हजार हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के बराबर ही है।

गन्ने की बुआई

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 46.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई केवल 45.81 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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