Wheat Irrigation : गेहूं में कब और कितनी बार दें पानी, एक्सपर्ट से जानें सही तरीका

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Wheat Irrigation : देशभर में रबी सीजन के दौरान गेहूं की बुवाई तेजी से हो रही है, और कई क्षेत्रों में फसल के बीज अंकुरित होने लगे हैं। केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के बाद किसानों का उत्साह दोगुना हो गया है। किसान इस वर्ष अपनी फसल की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

गेहूं में सिंचाई का सही समय
कृषि विज्ञान केंद्र के पौध संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. मुकुल कुमार ने बताया कि गेहूं की फसल में सिंचाई का सही समय और पानी की उचित मात्रा उत्पादन बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद ताजमूल अवस्था में करनी चाहिए। दूसरी सिंचाई 40-50 दिन बाद कल्ले निकलने के समय पर और तीसरी सिंचाई 60-65 दिन बाद गांठ बनने के समय करनी चाहिए।

फसल की चौथी सिंचाई 80-85 दिन बाद फूल आने के समय और पांचवीं सिंचाई 100-105 दिन बाद दाना बनने के दौरान करनी चाहिए। छठी सिंचाई 115-120 दिन बाद दाना भरने के समय की जानी चाहिए।

कम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए सलाह
डॉ. मुकुल ने बताया कि कुछ क्षेत्रों और किस्मों में तीन सिंचाई पर्याप्त होती है। ऐसे किसान पहली सिंचाई ताजमूल अवस्था में, दूसरी सिंचाई 80 दिन बाद बाली निकलने से पहले, और तीसरी सिंचाई 115 दिन बाद दाना बनने के दौरान करें।

उन्होंने किसानों को विशेष रूप से खेत में पानी की मात्रा का ध्यान रखने की सलाह दी। पानी की अधिकता से पौधों की वृद्धि प्रभावित हो सकती है और जलभराव से उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। खेत में पानी जड़ों तक पहुंचे लेकिन जलभराव न हो, इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है।

मौसम बनेगा फसल के लिए अनुकूल
डॉ. मुकुल ने बताया कि इस वर्ष खरीफ सीजन की अच्छी बारिश और बढ़ती ठंड गेहूं की वृद्धि के लिए लाभकारी साबित होगी। दिसंबर मध्य से कोहरा और शीतलहर का प्रभाव फसल के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाएगा। हालांकि, उन्होंने दिसंबर और जनवरी में सिंचाई करते समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी।

वैज्ञानिक तकनीकों से बढ़ाएं उत्पादन
डॉ. मुकुल ने कहा कि किसान यदि फसल में वैज्ञानिक तरीकों और तकनीकों का पालन करेंगे, तो उन्हें बेहतर उपज के साथ गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त होगा। उन्होंने किसानों को यह भी सुझाव दिया कि सिंचाई के साथ अन्य कृषि तकनीकों, जैसे संतुलित उर्वरक उपयोग और समय पर कीट नियंत्रण का भी ध्यान रखें।

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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