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भारत ने चावल के निर्यात पर बढ़ाया प्रतिबंध, पारबॉयल्ड राइस पर लगाया 20% का शुल्क

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नई दिल्ली: घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों के साथ ही देश के कई राज्यों में अगस्त में मानसूनी बारिश कम होने से उत्पादन में कमी आने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने गैर बासमती सेला चावल, पारबॉयल्ड राइस (parboiled rice)  के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगा दिया है।

केंद्र सरकार द्वारा 25 अगस्त 2023 को जारी अधिसूचना के अनुसार पारबाइल्ड चावल के निर्यात पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क 16 अक्टूबर 2023 से प्रभावी होगा। अत: ऑर्डर जिनकी लेटर ऑफ क्रेडिट, बैंक, कंसाइनमेंट क्लीयरेंस, कस्टम 25 अगस्त से पहले हो चुके हैं, उसका निर्यात हो सकेगा।

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 2023 को गैर बासमती सफेद चावल, व्हाइट राइस के निर्यात (Basmati Rice Exports) पर रोक लगा दी थी। इसके पहले दिसंबर 2022 में केंद्र सरकार ने ब्रोकन राइस के निर्यात पर रोक लगाई थी, तथा इसके साथ ही गैर बासमती चावल पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगा दिया था।

हालांकि यह शुल्क गैर बासमती सेला चावल पर नहीं लगाया गया था। अत: केंद्र सरकार ने 25 अगस्त को जारी अधिसूचना के अनुसार अब गैर बासमती सेला चावल के निर्यात पर भी 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगा दिया है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान गैर बासमती चावल का निर्यात घटकर 40.57 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 43.48 लाख टन का हुआ था।

बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के दौरान 11.72 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 11.25 लाख टन का हुआ था।

वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश से गैर बासमती चावल का निर्यात 177.86 लाख टन का मूल्य के हिसाब से 51,088.72 करोड़ रुपये का हुआ था।

केंद्र सरकार गैर बासमती व्हाइट राइस के निर्यात पर रोक लगा देने से विश्व बाजार में कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं तथा केंद्र सरकार के इस कदम से कीमतें और तेज होने का अनुमान है।

चालू खरीफ सीजन में धान के बुआई रकबे में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन अगस्त में देश के कई राज्यों में बारिश सामान्य से काफी कम हुई है। ऐसे में इन राज्यों में धान की प्रति हेक्टेयर पैदावार में कमी आने की आशंका है। 

चालू खरीफ में धान की रोपाई 4.40 फीसदी बढ़कर 384.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 367.83 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। सितंबर में उत्पादक मंडियों में नए धान की आवक शुरू हो जायेगी, तथा अक्टूबर में आवकों का दबाव बनने की उम्मीद है।

नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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