हनुमानगढ़: प्रदेश में इस बार गेहूं बिजाई (बुवाई) का रकबा घटा, सरसों का बढ़ा, ये है कारण

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हनुमानगढ़ खेती बाड़ी समाचार: इस बार नहरी पानी की कमी के चलते किसानों का रुझान गेहूं बिजाई (Wheat sowing) की तरफ ज्यादा नहीं है. जबकि चालू रबी सीजन (2021-22) में सरसों की बिजाई बड़े स्तर पर की जा रही है. कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार गेहूं बिजाई करने पर अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है. वही इसकी अपेक्षा सरसों की बिजाई (Mustard sowing) में काफी कम पानी की जरूरत पड़ती है. इसलिए किसान इस बार पानी की कमी को देखते हुए कम सिंचाई वाली फसलों की बिजाई में रुचि दिखा रहे हैं.

जिले में इतनी हुई अब तक गेहूं सरसों की बुवाई

हनुमानगढ़ जिले की अगर पिछले साल की बात करें तो 2,70,000 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई हुई थी. जबकि इस बार (2021-22) जिले में अभी तक 1,10,000 हैक्टेयर में ही गेहूं की बिजाई हो पाई है. गेहूं की बिजाई का कार्य अपने अंतिम चरण में चल रहा है.

अगर बात करें सरसों की बिजाई के रकबे की तो ताज़ा आंकड़े के मुताबिक़ पिछले साल की तुलना में सरसों बिजाई का रकबा काफी बढ़ा है. पिछले साल जिले में सरसों की बिजाई लगभग 1,35,000 हेक्टेयर हुई थी. वही अबकी बार जिले में अभी तक तकरीबन 2,00,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सरसों की बिजाई हो चुकी है.

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किसानों को मिल रहे सरसों के अच्छे दाम

इस बार किसानों को सरसों के रेट मिले काफी अच्छे मिल रहे है जिसके कारण भी किसानों का ध्यान सरसों की बुवाई पर अधिक है . जानकारी के लिए आपको बता दे की सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2021-22 के लिए ₹4650 निर्धारित किया गया था और किसानों को तकरीबन इससे दोगुना रेट मिल रहा है . वहीं 2022-23 के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹5050 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है .

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15 दिसम्बर तक गेहूं की बिजाई

कृषि विभाग के उप निदेशक दानाराम गोदारा ने बताया की गेहूं बिजाई का समय 15 दिसम्बर तक माना जाता है .रबी फसलों की बिजाई के दृष्टिगत DAP खाद की आपूर्ति करवाने का प्रयास जारी है .एक रैक और आने से जल्द हनुमानगढ़ जिले को करीब एक हजार मीट्रिक टन (MT) डीएपी मिलने की उम्मीद है .

इसलिए सरसों बिजाई पर जोर

इंदिरा गांधी नहर में अभी जनवरी तक का सिचाई रेगुलेशन जारी किया गया है. आगे मावठ ठीक रहने या बांधो में आवक बढ़ने से रेगुलेशन की समीक्षा करने की बात अधिकारी कह रहे हैं. भविष्य में नहरी पानी की कमी होने की स्थिति में खेती कार्य प्रभावित नहीं हो , इसके लिए किसानों ने गेहूं की जगह पर इस बार सरसों बिजाई पर अधिक जोर दिया है. जानकारी स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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