जयपुर: प्रदेश में किसानों को खेत में कुआं व ट्यूबवेल लगाने के बाद बिजली कनेक्शन (electricity connection) के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो इंतजार का पीरियड 5 से 7 साल का हो जाता है, ऐसे में किसान की आय भला दोगुनी कैसे हो सकती है। किसानों की इसी समस्या के निवारण के लिए बनाई गई कमेटी ने ऊर्जा विभाग (Department of Energy) को अपनी रिपोर्ट दे दी है। आइये जाने, क्या है इस रिपोर्ट में।
किसानों को उनके खेतों में जल्द से जल्द कृषि कनेक्शन दिये जा सके इसके लिए एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था । कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हर खेत पर सोलर प्लांट लगा कर हाथों-हाथ बकाया कृषि कनेक्शन दिया जा सकता है।
1.80 लाख किसानों को सोलर प्लांट कृषि कनेक्शन
इस कमेटी ने प्रदेश में 2019 से 2023 तक आवेदन करने वाले क़रीब 1.80 लाख किसानों के खेत पर खुली निविदा से 25 साल के एग्रीमेंट से सोलर प्लांट लगाए जाने की सिफारिश की है ।
चार सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इससे किसान को दिन में बिजली मिल सकेगी । ऐसे में किसानों को रात को कड़ाके की ठंड और अंधेरे में होने वाली परेशानी से भी मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही थर्मल पावर प्लांट, प्रसारण तंत्र व बिजली बिल में सब्सिडी (Subsidy in electricity bill) के तौर पर दी जा रही राशि की बचत भी होगी।
जयपुर डिस्कॉम के पूर्व प्रबंध निदेशक अर्जुन सिंह सहित 4 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट ऊर्जा विभाग को दे दी है। रिपोर्ट को लागू करने के बाद अकेले 1.80 लाख कनेक्शनों पर ही सालाना सब्सिडी 292 करोड़ रु. की बचत होगी। किसानों को डिमांड नोटिस के 354 करोड़ भी जमा नहीं करवाने पड़ेंगे।
फैक्ट फाइल (भास्कर रिपोर्ट)
कमेटी ने दिये ऊर्जा विभाग को ये सुझाव
नए कनेक्शन के लिए : बिजली सिस्टम से एक कनेक्शन करने पर औसतन 2.88 लाख रुपये का खर्चा आता हैं। ऐसे में बीते 4 साल में आए नये बिजली कनेक्शन के 1.80 लाख आवेदन आये है, ऐसे में इन पर करीब 4500 करोड़ खर्च होंगे।
ये कृषि कनेक्शन स्टैंडलोन सौर ऊर्जा सयंत्र से जारी होंगे। खेत पर ही सोलर प्लांट लगने से किसान को तत्काल कनेक्शन मिलेगा और दिन में बिजली भी।
सोलर प्लांट लगाने के लिए सोलर कंपनियों से टेंडर लेकर पारदर्शी काम हो। इससे किसानों को टैरिफ सब्सिडी देने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
पुराने कृषि कनेक्शन पर दिन में सप्लाई के लिए:-
बिजली सिस्टम से लगे कृषि कनेक्शनों के लिए ग्रामीण ग्रिड सब-स्टेशन के निकट 1.5 से 2.5 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट लगाए जाए। यह काम पीएम कुसुम योजना से किया जा सकता है। इससे किसानों को दिन में बिजली मिलेगी और सब्सिडी की राशि बचेगी।
करंट दुर्घटना व ट्रिपिंग से मिलेगी निजात:-
करंट दुर्घटना व ट्रिपिंग से मिलेगी निजात: खेतों में बिजली सिस्टम नहीं होने से किसानों की करंट दुर्घटनाएं नहीं होंगी। करंट से सालाना 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। बिजली लाइनों में फॉल्ट व ट्रिपिंग भी नहीं होगी। इससे बिना किसी बाधा के बिजली सप्लाई हो सकेगी।