Wheat Crop Insurance- हमीरपुर के किसानों के लिए अलर्ट! अगर आपने अब तक अपनी रबी की गेहूं फसल का बीमा (Wheat crop insurance) नहीं कराया है, तो घड़ी की सुई तेजी से 15 दिसंबर की ओर बढ़ रही है। इस डेडलाइन को छूटना महंगा पड़ सकता है। हिमाचल प्रदेश प्रशासन ने PMFBY योजना को लेकर जोरदार तैयारी की है, लेकिन फिर भी हजारों किसान इस सुरक्षा कवच से बाहर हैं।
15 दिसंबर: आखिरी मौका या मुश्किल में फंसने वाली बात?
बुधवार को हमीरपुर में जिला स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में डिप्टी कमिश्नर अमरजीत सिंह ने पंचायत प्रतिनिधियों, कृषि विभाग और बैंक अधिकारियों को साफ निर्देश दिए – कोई भी किसान PMFBY से बाहर नहीं रहना चाहिए। हालांकि, अब तक की प्रगति पर नजर डालें तो तस्वीर अधूरी नजर आती है। कृषि उपनिदेशक शशि पल अत्रि ने बैठक में योजना के क्रियान्वयन, उपलब्धियों और चुनौतियों की विस्तार से समीक्षा की। मगर असली सवाल यही है कि आंकड़ों के पीछे कितने किसान वास्तव में जुड़ पाए हैं?
Rs 36 प्रति कनाल – छोटा प्रीमियम, बड़ा सुरक्षा कवच
अगर आप सोच रहे हैं कि बीमा महंगा पड़ेगा, तो गलतफहमी दूर कर लें। किसानों को केवल 36 रुपये प्रति कनाल प्रीमियम देना होगा, जो कुल लागत का मात्र 1.5 प्रतिशत है। ओलावृष्टि, भारी बारिश, सूखा या किसी भी प्राकृतिक आपदा से फसल नष्ट होती है तो क्षति का भुगतान क्षेमा जनरल इंश्योरेंस कंपनी करेगी। ये Wheat Crop के लिए बेहद किफायती और जोखिम से सुरक्षा देने वाला विकल्प है। लेकिन लाभ तभी मिलेगा जब 15 दिसंबर से पहले रजिस्ट्रेशन पूरा हो।
Kisan Credit Card: बीमा के साथ-साथ कर्ज की भी जरूरत
बैठक में एक और अहम मुद्दा उठा – किसान क्रेडिट कार्ड कवरेज। हमीरपुर में फिलहाल 45,810 किसान ही केसीसी धारक हैं। डीसी ने बैंकों को निर्देश दिए कि नए किसानों को तेजी से कार्ड उपलब्ध कराएं, ताकि खेती से जुड़े लोन, बीमा और अन्य सुविधाओं का लाभ मिल सके। बिना केसीसी के भी बीमा कराया जा सकता है, लेकिन कार्ड होने से पूरा फायदा मिलता है।
सेब के बागों में फंगल बीमारी का खतरा
इस बीच, प्रदेश में सेब के बाग संकट से जूझ रहे हैं। नमी भरे मौसम और गलत स्प्रे मैनेजमेंट की वजह से अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट जैसी फंगल बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। पत्तियां झड़ रही हैं और फलों की क्वालिटी गिर रही है।
वैज्ञानिकों ने किसानों को चेतावनी दी है – पेस्टिसाइड्स का गैर जरूरी मिश्रण न करें, स्प्रे शेड्यूल सही रखें, मिट्टी के अनुसार खाद दें और फायदेमंद कीड़ों को बचाएं। हिमाचल में मौसम की अनिश्चितता बढ़ रही है और किसानों की फसलें इसके सीधे निशाने पर हैं। प्रशासन उम्मीद कर रहा है कि अंतिम तारीख से पहले बड़ी संख्या में किसान योजना से जुड़कर अपनी रबी फसल को सुरक्षित करेंगे।
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