रबी फसलों की बंपर पैदावार के लिए करें बीजोपचार, जाने सही विधि

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भारत में रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है, और किसानों ने धान की कटाई के बाद अपने खेतों में रबी फसलों की बुआई शुरू करने की तैयारी कर ली है। इस दौरान, बिहार सरकार ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है, जिसमें रबी फसलों के बीजों का उपचार करने की सलाह दी गई है। बीज उपचार से फसलों की रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ती है और उत्पादकता में सुधार होता है। आइए जानते हैं कि किस प्रकार के बीजों का उपचार किया जाना चाहिए और इसके फायदे क्या हैं।

दलहन फसलों के बीज उपचार

रबी सीजन में दलहन की फसल जैसे चना, मटर आदि की खेती प्रमुखता से की जाती है। इन फसलों में बीजों का उपचार बेहद आवश्यक होता है, ताकि रोगों और कीटों से बचाव हो सके। दलहन फसलों के बीजों का उपचार करने के लिए:

  • फफूंद जनित रोगों से बचाव: ट्राइकोडर्मा (5 मि.ली.) या कार्बेन्डाजिम (50%) के घोल में बीजों को मिलाएं।
  • मिट्टी जनित कीटों से बचाव: क्लोरपायरीफास से बीजों का उपचार करें।
  • नाइट्रोजन फिक्सेशन बैक्टीरिया: राइजोबियम कल्चर से बीजों का उपचार करें, ताकि दलहन फसलों के लिए नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़े।

मक्का और सब्जी फसलों का बीज उपचार

रबी सीजन में मक्का और सब्जी फसलों के बीजों का उपचार भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये फसलें कीटों और फफूंद जनित रोगों से प्रभावित हो सकती हैं:

  • फफूंद जनित रोगों से बचाव: ट्राइकोडर्मा (5 मि.ली.) या कार्बेन्डाजिम (50%) का 2 ग्राम प्रति बीज उपचार करें।
  • मिट्टी जनित कीटों से बचाव: क्लोरपायरीफास से बीजों का उपचार करें।

आलू फसल का बीज उपचार

आलू की फसल में अगेती और पछेती झुलसा रोगों से बचाव के लिए बीज उपचार आवश्यक होता है:

  • रोगों से बचाव: मैंकोजेब (75%) का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर बीज को लगभग आधे घंटे तक डुबाकर उपचारित करें। इसके बाद बीज को छाया में सुखाकर 24 घंटे के अंदर बुआई करें।

गेहूं फसल का बीज उपचार

गेहूं, रबी सीजन की प्रमुख फसल है, और इसके बीजों का उपचार करने से उत्पादन में वृद्धि हो सकती है:

  • फफूंद जनित रोगों से बचाव: ट्राइकोडर्मा (5 मि.ली.) या कार्बेन्डाजिम (75%) से बीज का उपचार करें।
  • सूत्रकृमि (निमेटोड) से बचाव: नमक के घोल में बीजों को डुबोकर, फिर साफ पानी से 2-3 बार धोकर उपचार करें।

घरेलू विधि से बीज उपचार

यदि ऊपर बताए गए उपाय उपलब्ध न हों तो किसान घरेलू तरीके से भी बीज उपचार कर सकते हैं:

  • गोमूत्र विधि: एक लीटर ताजा गोमूत्र में दस लीटर पानी मिलाकर बीजों का उपचार करें।
  • नीम का चूर्ण: नीम के चूर्ण से भी बीजों का उपचार किया जा सकता है, जिससे बीजों पर होने वाले कीटों और फंगस का हमला कम होता है।

बीज उपचार के फायदे

  1. बीजों की सुरक्षा: बीजों के उपचार से उनके चारों ओर एक protective coating बन जाती है, जो अंकुरण के समय मिट्टी से होने वाले रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है।
  2. अंकुरण प्रतिशत में वृद्धि: उपचारित बीजों का अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है, जिससे स्वस्थ और मजबूत पौधे उगते हैं।
  3. पैदावार में बढ़ोतरी: बीज उपचार से फसल की गुणवत्ता और पैदावार में वृद्धि होती है।
  4. कीट और फंगस से बचाव: बीजों का उपचार करने से फंगस और कीटों का हमला कम होता है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है।

निष्कर्ष

रबी फसलों की सफल खेती के लिए बीजों का उपचार एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल फसलों को रोगों और कीटों से बचाता है, बल्कि उत्पादन और गुणवत्ता में भी सुधार करता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे समय रहते बीजों का उपचार करें ताकि रबी सीजन में उनकी फसल अच्छे से बढ़े और अच्छा मुनाफा हो सके।

नोट:- किसान साथियों, इस लेख में दी गई जानकारी सार्वजनिक मीडिया स्रोतों से ली गई है। आपसे अनुरोध है कि खेती बाड़ी से संबंधित किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव (Mandi Bhav), कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं , लेटेस्ट किसान समाचार के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 6 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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