DAP crisis in Haryana: हरियाणा में रबी सीजन के दौरान डीएपी (डाई अमोनियम फास्फेट) खाद की भारी कमी देखी जा रही है, जिसके कारण किसानों को खाद (Fertiliser) के लिए लंबी-लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है। राज्य सरकार के मुताबिक, DAP की आपूर्ति नियमित रूप से हो रही है, लेकिन जमीनी हालात इससे ठीक विपरीत दिखाई पड़ रहे हैं। खाद के वितरण के लिए पुलिस के पहरे में व्यवस्था की जा रही है, जिसे ये स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है कि हालात सामान्य तो बिल्कुल नहीं हैं।
राज्य सरकार का दावा है कि रबी सीजन के लिए कुल डीएपी की 70% मांग पहले ही पूरी की जा चुकी है। इसके बावजूद, किसानों को खाद की खरीदारी के लिए भारी संघर्ष करना पड़ रहा है।
कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने इस संकट को लेकर बयान देते हुए कहा कि 11 नवंबर तक राज्य को 46,495 मीट्रिक टन डीएपी मिल जाएगी और किसी भी किसान को रबी फसलों की बुवाई में खाद की कमी नहीं होगी। उन्होंने किसानों से जल्दबाजी में खरीदारी से बचने की अपील की और कहा कि आवश्यकतानुसार ही खाद खरीदें ताकि वितरण में किसी प्रकार की रुकावट न आए।
डीएपी की आपूर्ति और वर्तमान स्थिति
राणा ने बताया कि 3 से 11 नवंबर के बीच हरियाणा में 46,495 मीट्रिक टन डीएपी लाने की योजना है। 3 नवंबर को 7,938 मीट्रिक टन, 4 नवंबर को 12,007 मीट्रिक टन, 5 नवंबर को 5,350 मीट्रिक टन, और 6 नवंबर को 5,250 मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति हो चुकी है। इसके बाद 7 नवंबर को 2,700 मीट्रिक टन और 8 नवंबर को भी खाद की खेप आने की उम्मीद है। 9, 10 और 11 नवंबर को 2,650 मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति की जाएगी।
राज्य में 6 नवंबर तक 28,670 मीट्रिक टन डीएपी का भंडार था, और कृषि मंत्री ने बताया कि इस आपूर्ति से किसानों को आवश्यक खाद की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। बावजूद इसके, ज़मीनी हालात यह सवाल उठाते हैं कि क्या सरकारी दावों से वास्तविकता में बदलाव आएगा या यह स्थिति सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगी।
खाद संकट की पुरानी समस्या
यह पहली बार नहीं है जब हरियाणा में खाद संकट उत्पन्न हुआ हो। इससे पहले, 2021 में भी गेहूं और सरसों की बुवाई के दौरान खाद की कमी ने राज्य में हलचल मचा दी थी। उस समय खाद का वितरण पुलिस थाने में करना पड़ा था। इसके अलावा, विपक्षी नेता इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगे हुए हैं। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने आरोप लगाया है कि सरकारी संरक्षण में डीएपी को ब्लैक में बेचा जा रहा है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है।
निष्कर्ष
हरियाणा में डीएपी संकट लगातार बने रहने से किसानों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जबकि सरकार खाद की आपूर्ति नियमित रूप से होने का दावा कर रही है, किसानों को जमीनी स्तर पर अभी भी खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को चाहिए कि वह किसानों के विश्वास को बनाए रखने के लिए खाद के वितरण में पारदर्शिता और उचित निगरानी सुनिश्चित करे, ताकि रबी सीजन में कोई भी किसान बिना खाद के न रहे।