Cotton Price : वैश्विक बाजारों में कपास (कॉटन) की कीमतों में आई गिरावट का असर शनिवार 17 सितंबर को स्थानीय मंडियों में भी देखने को मिला. कल यानी शनिवार को इसकी कीमतों में तकरीबन 2 हजार रुपये प्रति कैंडी (कैंडी-356 किलो) तक की गिरावट देखने को मिली ।
हरियाणा पंजाब व राजस्थान की मंडियों में कल नरमा 50 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई जबकि कुछेक मंडियों में भाव स्थिर रहे. इस दौरान पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में शनिवार को रुई (देशी कपास) के भाव हाजिर डिलीवरी के घटकर 8050 से 8100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उत्पादक मंडियों में नई कपास की दैनिक आवक बढ़कर 11000 से 12,000 गांठ (170 किलो) की हो गई।
राजस्थान की नोहर मंडी में नरमा भाव 9257, रावतसर 9251, रावला 9060, रायसिंहनगर 9157, सादुलशहर 9231, अनूपगढ़ 9185, संगरिया 9625, गोलूवाला 9000, हनुमानगढ़ 9400, श्री गंगानगर 9276, श्री करणपुर 9000 रुपये, हरियाणा की ऐलनाबाद मंडी में नरमे का रेट 9500, सिरसा 9625, फतेहाबाद 9350, भट्टू 9340, बरवाला 9611, भुना 9322,गोहाना 9350, कालांवाली 9560, डबवाली 9650 रुपये जबकि पंजाब की अबोहर मंडी में नरमा 9300 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका .
वहीं अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव चालू सप्ताह में करीब 7,000 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट के साथ 79,000 से 80,000 रुपये प्रति कैंडी पर पहुँच चूका है ।
यूएस मार्केट में कॉटन का हाल
US Market में Cotton Price की बात करें तो हफ्ते के आखरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को कॉटन की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। आईसीई कॉटन के दिसंबर वायदा अनुबंध में -3.87 फीसदी की गिरावट के साथ भाव 99.29 सेंट रह गए थे। इसे भी पढ़े : MCX पर कपास में भारी गिरावट, भाव ₹1390 की बड़ी गिरावट के साथ ₹33,420 तक पहुंचा
कपास की कीमतों को लेकर क्या कहते है जानकार
जानकारों के अनुसार ब्राजील में भी कॉटन की कीमतों (Cotton Price) में गिरावट आई है। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों में नई कपास की आवक बढ़ने लगी है, तथा मौसम साफ रहा तो अक्टूबर में आवकों का दबाव बनेगा।
कपास की बुआई में हुई बढ़ोतरी से चालू सीजन में कपास का उत्पादन में वृद्धि का अनुमान ज्यादा हैं। इसलिए आगामी दिनों में कपास की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है ।
आने वाले दिनों में आवक का प्रेशर बन्ने और कीमतों में गिरावट की संभावना के चलते स्पिनिंग मिलें फिलहाल केवल जरुरत के हिसाब से ही कॉटन की खरीद कर रही हैं। धागे में स्थानीय एवं निर्यात मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है इसलिए कॉटन की मौजूदा कीमतों में राज्य की स्पिनिंग मिलों को डिस्पैरिटी का सामाना करना पड़ रहा है।
कृषि विभाग द्वारा चालू खरीफ सीजन के जारी आकड़ों के मुताबिक देश में 16 सितंबर तक कपास की बुआई 7.53 फीसदी बढ़कर 127.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 118.23 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।