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मिर्च की खेती करना है मुनाफे का सौदा, आइये देखें विस्तृत रिपोर्ट

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Mirch ki Kheti: मिर्च की खेती मुनाफे का सौदा है। यह कहना है भरतपुर क्षेत्र के उन किसानों का, जो दौसा शहर के मेला मैदान पर मिर्च लेकर आए हैं। मिर्च की खेती में किसान को खेत से ही आमदनी शुरू हो जाती है। खेत पर हरी मिर्च की बिक्री होने लग जाती है। लाल होने पर मंडियों में और मेले आदि में बिक्री कर लेते हैं।

किसानों ने बताया कि मिर्च की खेती से किसानों को नुकसान नहीं होता, लेकिन रोग लग जाए तो मुनाफा भी नहीं होता। दौसा शहर में कई दशकों से बसंत पंचमी का पारंपरिक लक्खी मेला भरता रहा है।

कोरोना महामारी के कारण एक-दो वर्ष से मेले का आयोजन नहीं हो रहा। इस वर्ष भी मेला तो नहीं भरा, लेकिन मेले की पहचान लाल मिर्च का बाजार इस बार लगा है। करीब साठ से ज्यादा किसान और व्यापारियों ने दुकानें लगाकर मिर्च की बिक्री शुरू की है। हालांकि मेला नहीं भरने से इसका प्रचार-प्रसार नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे ग्राहकी होने लगी है। इसे भी पढ़े : राजस्थान कृषि बजट 2022: किसानों के हित में क्या है बजट में खास, जाने एक नजर में

मिर्च की खेती एक बीघा में 10 से 12 क्विंटल उत्पादन

बयाना के किसान हुकुमसिंह ने बताया कि मिर्च की खेती के लिए में जुलाई माह में बुवाई की जाती है। अक्टूबर-नवम्बर में पौधे पर मिर्च लगना शुरू हो जाती है। दिसम्बर माह में मिर्च तैयार हो जाती है। अगर उत्पादन की बात करें तो एक बीघा में तकरीबन 10 से 12 क्विंटल मिर्च की पैदावार हो जाती है ।

मिर्च की खेती में माथा बंधी रोग से बचाव जरूरी

भरतपुर क्षेत्र के किसान भगवान सिंह ने बताया कि मिर्च की खेती में माथा बंधी रोग का खतरा अधिक रहता है। समय पर इसका बचाव जरूरी है। इस रोग से फसल को 50% प्रतिशत तक नुकसान होता है। किसान ने बताया कि वह 25 साल से दौसा और करौली में लगने वाले मेले में मिर्च लेकर जाते हैं। दौसा के मेले में करीब 6 हजार बोरी का कारोबार हो जाता था। हर दुकान पर प्रतिदिन 50 60 बोरी मिर्च की बिक्री हो जाती थी। इस बार बिना मेले के आए हैं तो रोज की दस बोरी मुश्किल से बिक रही है।

महामारी के बाद नहीं मिल रहा बाजार

बयाना क्षेत्र के किसान भीमसिंह ने बताया कि मिर्च की किस्मों में 12 नम्बर, टीएसटी, जीटी, घंटूर, कोरियाई, देसी और तेजा की मुख्य रूप से खेती करते हैं। इसमें तेजा और देसी की डिमांड ज्यादा रहती है। कोरोना के बाद मुश्किल से 100 रुपए रोज की बचत होती है, उसमें से मजदूरी और भोजन आदि का खर्च भी हो रहा है।

मौसम का पड़ा असर

भरतपुर के बनजी गांव से आए किसान बहादुर ने बताया कि उसने चार बीघा में मिर्च की खेती की थी। मौसम के कारण मिर्च पर इस बार असर पड़ा। खेत में हरी मिर्च के समय भाव कमजोर रहे।

न्यूज़ स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका

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नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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