नई दिल्ली 23 मई: दक्षिणी भारत स्पीनर्स एसोसिएशन ने घोषणा की है कि रूई के अप्रत्याशित बढ़ने से कारोबार करना कठिन हो गया है। इसलिए आज से ही स्पीनिंग मिलें आज से ही उत्पादन बंद कर रही हैं और रूई की खरीद भी नहीं की जाएगी।एसोसिएशन का कहना है कि यह तब तक जारी रहेगा, जब तक कीमतों में सुविधाजनक या तर्कसंगत सुधार नहीं होता।
साउथ इंडिया स्पिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जे सेलवन ने कहा कि पिछले 5 महीने में कपास की कीमत प्रति कैंडी 53 फीसदी बढ़कर 1.15 लाख रुपये हो गई है. उन्होंने कहा कि कीमत बढ़ने का मुख्य कारण इस साल कपास का कम उत्पादन है.
एसोसिएशन ने कहा कि जनवरी 2022 में रूई प्रति कैंडी भाव 75 हजार रुपए (कैंडी 356 केजी) के स्तर पर थे। जबकि यॉर्न का भाव 328 रुपए प्रति किलोग्राम था। मई 2022 में रूई का भाव बढ़ कर 1.15 लाख तक पहुंच गया। जबकि यॉर्न का भाव 399 रुपए तक आया है। इस प्रकार रूई के भाव में 53 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि यॉर्न में मात्र 21 प्रतिशत भाव बढ़े हैं।
स्पीनर्स एसोसिएशन की घोषणा से देशभर की मंडियों में नरमा- कपास के साथ- साथ रूई बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज हो रही है। शनिवार को उत्तर भारत की मंडियों में 12500 रुपए तक नरमा की ढेरियों की बिकवाली हुई थी। जबकि रविवार को यह भाव 11300 रुपए तक रह गए।
हालांकि कमजोर उत्पादन के कारण मंडियों में आवक 12 हजार गांठों की रह गई है। देश की प्रमुख एग्रो कमोडिटी एजेंसी स्मार्ट इनफो के अनुसार गुजरात में कपास का भाव 2650 रुपए और 29 एमएम रूई 99500 रुपए बोली जाने लगी है।
मध्य प्रदेश में कपास का भाव 12500 रुपए और 29 एमएम रूई 1.4 लाख पर आ गई है।
अलवर, खैरथल, बहरोड लाइन पर 28.5 एमएम रूई 99800 बोली जाने लगी है।
मध्य प्रदेश में कपास का भाव 13500 रुपए और 30 एमएम रूई 1.7 लाख पर आ गई।
कर्नाटक में बेस्ट कपास 600 रुपए तक टूट चुकी है और भाव 13 हजार रुपए रह गए हैं।
रूई करीब 5 हजार रुपए टूट गई है और 30 एमएम का भाव 1.5 लाख रुपए रह गया है।
यही रूई उड़ीसा में 1.9 लाख के स्तर पर बोली गई । गुंटूर में 30 एमएम रूई 1.10 लाख रुपए और आदिलाबाद में 1.12 लाख रुपए बोली जा रही है।
जानकारों का कहना है कि स्पीनिंग मिलों द्वारा खरीद रोकने से बाजार में और गिरावट बढ़ सकती है। हालांकि कमजोर उत्पादन के चलते अभी भी बाजार को मजबूत बनाए रख सकता है, लेकिन फिलहाल बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।
सरप्लस कपास का हो एक्सपोर्ट
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि केवल सरप्लस कपास का एक्सपोर्ट किया जाए. खासकर छोटी मिलों का कहना था कि कपास की कीमतें एक वर्ष में दोगुने से अधिक हो गईं हैं। टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने कपास और धागे के एक्सपोर्ट पर एक अल्पकालिक पाबंदी, कपास को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में रखने और कमोडिटी एक्सचेंजों में इसके कारोबार को हटाने का अनुरोध किया था।