एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड 2022: किसानों को लाभ देने के लिए 1558 करोड़ रुपए मंजूर

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देश के किसानों (farmers) को संपन्न बनाने एवं कृषि क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के उद्देश्य से शुरू की गई “एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड” ( Agriculture Infrastructure Fund ) के उपयोग करने में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य बनकर उभर रहा है।

सरकार कृषि उपज के भंडारण के लिए गोदाम और वेयरहाउस बनाने पर सरकार का विशेष ध्यान है। कोविड-19 संकट के दौरान केंद्र सरकार ने प्रोत्साहन पैकेज के तहत कृषि संरचना कोष (एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड) की घोषणा की थी।

कृषि क्षेत्र के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत फसल एकत्रीकरण के लिए कोल्ड स्टोर (Cold Store), चेन वेयर हाउसिंग, ग्रेडिंग और पैकेजिंग इकाइयों, ई-ट्रेडिंग प्लेटफार्म से जुड़े ई-पॉइंट्स की स्थापना के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा। योजना की अवधि 10 से बढ़ाकर 13 वर्ष कर दी गई है, जिसके बाद अब ये योजना 2032-33 तक चलेगी। आईये, जानते हैं एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से किसानों को क्या और कैसे मिलेगा लाभ..

एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड योजना का उद्देश्य

भारतीय जन जीवन की समृद्धि का मुख्य आधार खेती और किसानी है। इसलिए सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता सूची में किसान शामिल है। कई बार भंडारण सुविधाओं के अभाव में किसान कम कीमतों पर फसल बेचने को मजबूर हो जाते हैं।

किसानों के लिए बेहतर आधारभूत संरचना का निर्माण करने से फल, सब्जियों व अन्य फसलों को रखने की सुविधा मिलेगी और कृषि उपज के खराब नहीं होने से बर्बादी भी रुकेगी। भंडारण की सुविधा मिलने पर किसान उचित समय पर सही कीमत पर अपनी फसल बेच सकेंगे।

ये है , एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की मुख्य बातें

  • Agriculture Infrastructure Fund को साल 2020 में कोविड-19 संकट के विरुद्ध  प्रोत्साहन पैकेज के रूप में 20 लाख करोड़ रुपए की घोषणा के साथ शुरू किया गया था, जो 2032-33 तक जारी रहेगा।
  • फसल उपरांत बुनियादी ढांचा प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यम-लंबी अवधि के ऋण वित्त पोषण की सुविधा प्रदान की जाएगी।
  • केंद्र / राज्य / स्थानीय निकायों द्वारा संचालित फसल एकत्रीकरण के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप परियोजनाओं के अलावा कोल्ड स्टोर, चेन वेयरहाउसिंग, ग्रेडिंग और पैकेजिंग इकाइयों, सायलोस, पैक हाउस, सोर्टिंग, लॉजिस्टिक सुविधाएं, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, रिपेयरिंग चैंबर, ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से जुड़े ई-मार्केटिंग पॉइंट्स की स्थापना के लिये धन उपलब्ध कराया जाएगा।
  • पात्र लाभार्थियों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों की ओर से लोन के रूप में 1 लाख करोड़ रुपए प्रदान किए जाएंगे।
  • पुनर्भुगतान के लिए अधिस्थगन न्यूनतम 6 महीने और अधिकतम 2 वर्षों के अधीन भिन्न हो सकता है।
  • लोन पर ब्याज सबवेंशन भी प्रदान किया जाएगा।
  • लोन पर 2 करोड़ रुपए की सीमा तक 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज सबवेंशन होगा। यह सबवेंशन अधिकतम सात साल की अवधि के लिए उपलब्ध होगा।

किसे मिलेगा एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का लाभ

इस योजना के माध्यम से किसान, कृषक उद्यमियों, किसान उत्पादक संगठन, स्टार्टअप, स्वयं सहायता समूह, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां और कृषि से जुड़े अन्य लोगों को विशेष फायदा पहुंचाया जा रहा है।

मध्यप्रदेश में कृषक, कृषक संगठनों को उद्यमी बनाने के लिए योजना से जोड़ा जा रहा है। सरकार खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी इकाइयां स्थापित करने के लिए कृषक एवं कृषम उद्यामियों को चयन करके योजना के माध्यम से उन्हें फंड उपलब्ध करा रही है। 

एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्कीम में 1558 करोड़ रुपए मंजूर

कृषि अधोसंरचना में सुधार को प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता देने के लिए शुरू की गई कृषि अवसंरचना निधि के उपयोग में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। अब तक प्रदेश में एआईएफ पोर्टल पर 3 हजार 357 आवेदन दर्ज कराए जा चुके हैं।

दर्ज प्रकरणों में से 2,129 आवेदनों पर 1558 करोड़ रुपए की राशि राशि बैंकों ने स्वीकृत की है। इसमें से 1107 करोड़ का ऋण वितरण हितग्राहियों के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया है।

इस योजना से मध्यप्रदेश के किसानों को काफी फायदा होगा क्योंकि कृषि उपज के भंडारण के लिए आधारभूत निर्माण से भंडारण क्षमता बढ़ाई जाएगी।

उधारकर्ताओं को मिलेगा क्रेडिट गारंटी कवरेट

इस वित्तपोषण सुविधा से लोन प्राप्त करने वाले पात्र उधारकर्ताओं को 2 करोड़ रुपए तक के ऋण हेतु सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट योजना के तहत एक क्रेडिट गारंटी कवरेज उपलब्ध होगा।

कोष का प्रबंधन और निगरानी एक ऑनलाइन प्रबंधन सूचना प्रणाली प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी। यह सभी योग्य संस्थाओं को कोष के तहत लोन हेतु आवेदन करने में सक्षम बनाएगा। वहीं वास्तविक समय अर्थात् रियल टाइम निगरानी और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर की निगरानी समितियों का गठन किया जाएगा। 

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मैं जगत पाल पिलानिया ! ई मंडी रेट्स का संस्थापक हूँ । ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों को मंडी भाव और खेती किसानी से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है।

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