देसी एवं काबुली चने में भारी तेजी, मक्का चावल भी हुआ तेज, देखें रिपोर्ट

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नई दिल्ली: गत सप्ताह (05 से 10 अप्रैल 2021) देसी चने की आवक टूट जाने एवं डिब्बे में सटोरियों की लिवाली से 350/400 रुपए प्रति क्रिस्टल की तेजी आ गई। काबुली चना भी शॉर्टेज में 1100/1200 रूपये छलांग लगा गया। अन्य दालें भी मजबूत रही। अनाजों में गेहूं 65 रुपए बढ़ने के बाद 35 रुपए मुलायम हो गया। मक्की भी उत्पादन में पोल से 50 रुपए बढ़ गई।

आलोच्य सप्ताह देसी काले चने का उत्पादन इस बार 80 लाख मैट्रिक टन से घटकर 65 लाख मैट्रिक टन रह जाने से उत्पादक मंडियों में आवक का प्रेशर नहीं बन पा रहा है, दूसरी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचा होने से आयात के पड़ते भी महंगे लग रहे हैं, वहीं दाल मिलों एवं स्टॉकिस्टों की लिवाली से देसी चना 350/400 बढ़कर 5450/5500 रु प्रति क्विंटल लॉरेंस रोड पर खड़ी मोटर में बिक गया। दाल के भाव भी इसी अनुपात में तेज बोले गए।

इसके अलावा काबुली चना का उत्पादन कम होने तथा विदेशी माल भी मंडियों में पड़ते के अभाव में कम आने से 1100/ 1200 रु छलांग लगाकर मोटा माल 8700 रुपए तथा छोटा माल 7000 रुपए प्रति क्विंटल हो गया । मेक्सिको के भाव भी 9500/9800 रुपा बोलने लगे। इधर मूंग भी आने वाली फसल में विलंब होने तथा बिजाई कम होने की खबर से 200 रुपए तेज हो गई। तूवर भी 200 बढ़कर लेमन 6950/7000 रुपए बिक गई। मसूर भी मंगावली, गंजबासौदा, सागर, भोपाल लाइन से कम आने से 225 रुपए बढ़कर 6350 रुपए बिल्टी में तथा कनाडा की 6275 रुपए ढाई किलो कंडीशन वाली उच्च स्तर पर जा पहुंची।

उधर उत्तर भारत में सरकारी खरीद शुरू होते ही उत्पादन मंडियों से गेहूं की आवक घट गई , जिसके चलते 65 रूपये प्रति क्विंटल की तेजी आ गई। जो बढ़िया गेहूं 1900 रुपए प्रति क्विंटल बिका था, उसके भाव 1965 रुपए हो गए, बाद में अंतिम दिन आवक बढ़ जाने से 35 रुपए प्रति क्विंटल की नरमी लिए बाजार बंद हुए। गेहूं के उत्पादन अनुमान में भी कमी का अंदेशा बन गया है, वहीं उत्पादक मंडियों में नए- पुराने गेहूं स्टॉकिस्ट लिवाल आ गए, इसके अलावा मक्की की फसल में भी पोल आने एवं घरेलू तथा निर्यात मांग निकलने से 75 रु प्रति क्विंटल की तेजी आ गई। बाजरे का मंदा भी सप्ताहांत में रुक गया। बारीक चावल में भी 100 रु की तेजी आ गयी। जौ भी 200 रुपए बढ़ गया। जानकारी स्त्रोत : व्यापार केसरी 

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नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जगत पाल पिलानिया है ! मैं ई मंडी रेट्स (eMandi Rates) का संस्थापक हूँ । मेरा उद्देश्य किसानों को फसलों के ताजा मंडी भाव, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाना है। ई-मंडी रेट्स (e-Mandi Rates) देश का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है।

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