Haryana farmers pension scheme के तहत प्रदेश सरकार ने अपने बजट में एक अनोखा प्रावधान किया है। दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, सतनाली, चरखी दादरी, बाढ़ड़ा और लोहारू जैसे पांच प्रमुख क्षेत्रों में अगर किसान अपने खेतों में रोहेड़ा और जांटी के पेड़ संरक्षित रखते हैं, तो उन्हें हर साल 500 रुपये दिए जाएंगे। यह राशि हर साल बढ़ाई भी जाएगी।
इस फैसले के पीछे सरकार की साफ मंशा है – पारंपरिक वनस्पतियों को लुप्त होने से बचाना। इन पेड़ों को trees protection के तहत प्राकृतिक विरासत का हिस्सा माना जाता है। हरियाणा के वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक में इसकी पुष्टि की।
इको-टूरिज्म पर सरकार की बड़ी योजना
केवल पेड़ों की सुरक्षा ही नहीं, पर्यटन क्षेत्र में भी सरकार ने दांव खेला है। Ecotourism policy Haryana के तहत मोरनी हिल्स में थापली और यमुनानगर के चुहड़पुर क्षेत्र में विस्तृत प्लान बनाने का निर्देश दिया गया है। मंत्री ने कहा कि इसके लिए वर्किंग ड्राफ्ट अधिकारियों को जल्द पेश करना होगा।
शिवालिक व अरावली पर्वत श्रृंखला को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की भी तैयारी चल रही है। इससे न केवल राजस्व बढ़ेगा, बल्कि लोकल रोजगार को भी बड़ा बूस्ट मिल सकेगा।
PPP मॉडल से होगा संचालन
PPP model tourism के जरिए इन प्रोजेक्ट्स को लागू करने का फॉर्मूला तैयार हुआ है। सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से इन परियोजनाओं को चलाया जाए। इससे ग्राउंड लेवल पर प्रभावी लागूकरण सुनिश्चित हो सकेगा।
राव नरबीर सिंह ने साफ कहा कि प्राकृतिक विरासत और पर्यावरण संरक्षण सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। हालांकि, बैठक में यह स्पष्ट नहीं हुआ कि 500 रुपये की राशि सालाना कितने प्रतिशत बढ़ाई जाएगी और इस योजना की फंडिंग कहां से होगी।












