Wheat Farming में जिंक की कमी अब एक गंभीर समस्या बन चुकी है। अगर आपकी फसल में पौधों की बढ़वार रुक जाए, हरापन कम हो और पत्तियां समानांतर पीली पड़ने लगें, तो समझ जाएं कि अब और देर नहीं की जा सकती। जिंक का समय पर प्रयोग न सिर्फ पौधे की ग्रोथ बूस्ट करता है, बल्कि कल्लों के फुटाव को भी बढ़ाता है, जो सीधे तौर पर प्रति एकड़ पैदावार पर असर डालता है। किसान भाइयों, यह खबर आपकी जेब से सीधे जुड़ी है।
जिंक की कमी से खतरे में है आपकी फसल
जिंक की कमी से गेहूं के पौधों की बढ़वार पूरी तरह ठप हो जाती है। सबसे खतरनाक लक्षण यह है कि पत्तियां समानांतर पीली पड़ने लगती हैं। किसान अक्सर इसे सामान्य पीलापन या नाइट्रोजन की कमी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यही गलती पूरे सीजन की मेहनत पर पानी फेर सकती है। पहचान में चूक हुई तो फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों घटेंगे, और आपका मुनाफा सीधे तौर पर प्रभावित होगा।
सही समय पर जिंक लगाना है जरूरी
सबसे अच्छा तो यही है कि बुवाई के समय ही जिंक मिट्टी में मिला दिया जाए। यह सुनहरा मौका है जब जिंक की पूरी मात्रा मिट्टी तक आसानी से पहुंच सकती है। लेकिन अगर इस मौके को मिस कर दिया है, तो घबराने की जरूरत नहीं। पहली सिंचाई के दौरान भी जिंक सल्फेट डालकर कमी को पूरा किया जा सकता है।
जल्दी से फैसला लें, क्योंकि देरी से नुकसान ही होगा। कई किसान दूसरी या तीसरी सिंचाई तक इंतजार करते हैं, जब तक बहुत देर हो चुकी होती है। फसल के प्रारंभिक चरण में जिंक मिलने पर ही असली फायदा मिलता है।

प्रति एकड़ कितना और कैसे लगाएं जिंक
मिट्टी में डालने के लिए दो विकल्प हैं। पहला, जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत को 6 किलो मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। दूसरा, अगर जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत वाला उपलब्ध हो, तो 10 किलो प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करें।
सबसे अहम बात – इस यूरिया के साथ मिलाकर डालें। इससे जिंक पौधे तक आसानी से पहुंचता है और नुकसान भी कम होता है। अलग से डालने पर जिंक मिट्टी में बंधकर बेकार हो सकती है, जो आपके पैसे की सीधी बर्बादी है।
स्प्रे और चेल्टेड जिंक से भी मिलेगा फायदा
स्प्रे विधि तेजी से परिणाम देती है। 800 ग्राम जिंक 33 प्रतिशत को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। यह तरीका तब कारगर है जब पौधे में कमी तेजी से दूर करनी हो।
सुबह या शाम के समय स्प्रे करें ताकि रासायनिक वाष्पीकरण कम हो और अधिकतम लाभ मिले। आधुनिक कृषि में चेल्टेड जिंक भी बेहद लोकप्रिय हो रहा है। इसकी 150 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग कर सकते हैं। यह पारंपरिक जिंक सल्फेट से महंगा जरूर है, लेकिन पौधे द्वारा जल्दी अवशोषित होने की वजह से तेजी से असर दिखाता है।
आम गलतियों से बचें
कई किसान स्प्रे के दौरान गलत खुराक ले लेते हैं या फिर गलत समय पर छिड़काव कर देते हैं। ध्यान रहे, 200 लीटर से कम पानी में घोल बनाने से जलने के निशान पड़ सकते हैं। इस सीजन में जिंक की कमी को नजरअंदाज न करें। सही समय, सही मात्रा और सही तरीका अपनाकर न सिर्फ फसल की गुणवत्ता सुधारें, बल्कि अपनी आमदनी भी बढ़ाएं।
डिस्क्लेमर – कृषि विभाग के विशेषज्ञों से सलाह लेकर ही कोई भी कदम उठाना बेहतर रहेगा।












