आज की सबसे बड़ी खबर: राजस्थान की मंडियों में आज मंगलवार 9 दिसंबर को ग्वार के भाव [Guar Prices] ने जोरदार उछाल दिखाया है। आज बीकानेर मंडी में ग्वार की एक ढेरी 5200 रुपए तक बिकी, जबकि हनुमानगढ़ के नोहर में 130 रुपए की तेजी के साथ भाव 4800 रुपये प्रति क्विंटल पहुंचा। लेकिन क्या यह बढ़त असली राहत है या सिर्फ एक झूठी उम्मीद? आइए, पूरा सच आप तक पहुंचाते हैं।
मंडियों में आज क्या हुआ?
बीकानेर मंडी में आज ग्वार की एक ढेरी [Guar Seed] 4500 से लेकर 5200 रुपए तक बिकी, जिसका औसत भाव 4721 रुपए क्विंटल रहा। आज का यह भाव लगातार ग्वार की गिरती कीमतों के बीच एक उम्मीद की किरण है। वहीं, हनुमानगढ़ की नोहर मंडी ने भी आज ग्वार का भाव कल के मुकाबले 130 रुपए की तेजी के साथ भाव 4800 रुपए तक पहुंच गया। हरियाणा की आदमपुर मंडी से भी ग्वार के 4873 रुपये क्विंटल तक बिकने की खबर आ रही है.
गोलूवाला मंडी में आज ग्वार का रेट 3800 से 4720 जबकि रावला मंडी में ग्वार 4735 रुपये तक बिका।
लेकिन यह तस्वीर पूरी नहीं है। पश्चिमी राजस्थान का किसान आज भी 3800-4500 रुपए में ग्वार बेचने को मजबूर है। लागत आसमान छू रही है, मुनाफा धरती में मिल रहा है। अगर आने वाले दिनों में भी यही हाल रहा , तो खेत में ग्वार की बुआई खत्म हो जाएगी।
एनसीडीईएक्स पर तेजी का सिलसिला
कमोडिटी मार्केट में [Commodity Market] आज ग्वार गम (Guar Gum) और सीड (Guar Seed) दोनों ने बढ़त दर्ज की। जनवरी कांट्रेक्ट के आंकड़े बता रहे हैं कि [NCDEX] पर ग्वार गम ओपन 8921 से शुरू होकर 9200 तक चढ़ा, और करंट रेट 184 रुपये की तेजी के साथ 9105 पर कारोबार कर रहा है । वहीं, ग्वार सीड ने भी 4890 से 4997 का सफर तय किया, 78 रुपए बढ़कर 4962 पर कारोबार कर रहा है ।
इस उछाल के पीछे क्या है? क्या सच में डिमांड बढ़ी है या सिर्फ सट्टेबाजों का खेल? किसान इस सवाल का जवाब खोज रहे हैं।
2012 से 2025 तक
आज भी एक बुजुर्ग किसान के घर 2012 का ग्वार स्टॉक बिल्कुल वैसा का वैसा पड़ा है। जी हां, 13 साल पुराना ग्वार, जो न तो खराब हुआ और न ही बिका। यह फसल सालों तक स्टोर की जा सकती है, लेकिन अब यही खूबी किसान का गला घोंट रही है। 2012-13 में जब [Guar Prices] चमके थे, तो कुछ किसानों ने फायदा उठाया, कुछ रुक गए। वहीं रुकना आज तक का सबसे बड़ा नुकसान साबित हो रहा है।
आज भाव दिन-ब-दिन दम तोड़ रहे हैं। कई किसान मानते हैं कि [NCDEX] का खेल सब कुछ बर्बाद कर रहा है। और भविष्य? उसमें कोई उम्मीद नहीं।
खतरे की घंटी: ₹10000 या फसल छोड़ें
3800 रुपए में बिकने वाला ग्वार और 10000 रुपए का खर्चा – यह गणित किसान को ग्वार की खेती छोड़ने पर मजबूर करेगा। जो किसान लंबे समय से तेजी की उम्मीद में बैठे हैं, उनके लिए आज की बढ़त एक किरण जरूर है, लेकिन कमजोर। सवाल यह नहीं है कि भाव बढ़े या नहीं, सवाल तो यह है कि ग्वार की खेती बचेगी या नहीं।
एक किसान की सीधी बात, “अगर यही अंतर रहा, तो 2025 में हम ग्वार का बीज हाथ में लेना भी बंद कर देंगे।”
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