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दुनिया में गेहूं, चावल और मोटे अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन, क्या इससे कीमतें गिरेगी? देखें ये FAO रिपोर्ट!

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2025–26 में दुनिया में गेहूं, चावल और मोटे अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन की तरफ बढ़ रहा है। FAO की ताज़ा Food Outlook Report बताती है कि आने वाले वर्ष में गेहूं, चावल और मोटे अनाज की पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है। मौसम ने साथ दिया है, बोआई बढ़ी है और कई बड़े उत्पादक देशों में खेतों से उम्मीद से ज्यादा उपज मिलने के संकेत हैं।

गेहूं की पैदावार में जबरदस्त उछाल – दुनियाभर में नया रिकॉर्ड बनने की तैयारी

FAO के अनुसार इस सीज़न में दुनिया भर में गेहूं उत्पादन लगभग 819 मिलियन टन छू सकता है—जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा होगा। यूरोपीय संघ में बेहतर मौसम और बढ़ी हुई बोआई ने बड़ा योगदान दिया है। भारत में भी किसानों को अच्छे दाम मिलने के कारण गेहूं का रकबा इस बार काफी बढ़ा है।

रूस में स्प्रिंग व्हीट की पैदावार उम्मीद से ज्यादा है, जिससे वैश्विक उत्पादन को और मजबूती मिली है। हालांकि ईरान, कज़ाखस्तान, पाकिस्तान और तुर्की में बारिश की कमी से उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन बड़े देशों की मजबूत पैदावार से यह कमी पूरी होती दिख रही है।

क्या बढ़ेगी गेहूं की खपत?

दुनिया भर में गेहूं की कुल खपत 808 मिलियन टन के आसपास रहने का अनुमान है। खासतौर पर एशिया और उत्तरी अमेरिका में एनीमल फीड के लिए गेहूं की खपत बढ़ रही है। इसका मतलब है कि पैदावार ज्यादा होने के बावजूद मांग भी मजबूत बनी हुई है।

इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी तेजी दिख रही है। इस साल 202 मिलियन टन से ज्यादा गेहूं का अंतरराष्ट्रीय व्यापार होने का अनुमान है—जो पिछले साल की तुलना में लगभग 5% अधिक है।

चावल का उत्पादन भी रिकॉर्ड स्तर पर

चावल उत्पादन भी इस बार 556 मिलियन टन (मिल्ड बेसिस) तक पहुंचने का अनुमान है। इसका बड़ा कारण है:

  • एशिया में लगातार अच्छे मानसून
  • लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों में ऐतिहासिक हार्वेस्ट
  • बेहतर सिंचाई और समय पर बोआई

फूड डिमांड और इंडस्ट्रियल यूज़ दोनों तेज़ी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद चावल की उत्पादन क्षमता खपत से अधिक रहने की उम्मीद है। नतीजा—दुनिया भर का राइस स्टॉक बढ़कर 215 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।

हालांकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में हल्की कमी आ सकती है, क्योंकि कई देश इस बार अपनी घरेलू जरूरतों को अपनी उपज से पूरा कर लेंगे।

मोटे अनाज (Coarse Grains) का रिकॉर्ड—अमेरिका और ब्राज़ील की बंपर फसल

मोटे अनाज, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा मक्का (Maize) का है, इस साल 1.61 बिलियन टन तक जाने की उम्मीद है। यह पिछले साल की तुलना में करीब 6.6% अधिक है। इसके पीछे तीन बड़े कारण हैं:

  1. ब्राज़ील में बंपर उत्पादन
  2. अमेरिका में हाई-यील्ड मक्का
  3. दक्षिणी अफ्रीका में समय पर बारिश और बेहतर मौसम

खपत का अनुमान 1.57 बिलियन टन का है, जिसमें इंडस्ट्रियल उपयोग और फीड दोनों बड़ी भूमिका निभाते हैं। कोर्स ग्रेन्स का वैश्विक व्यापार 2.6% बढ़ने की ओर है, खासकर सोरघम (ज्वार) के मजबूत एक्सपोर्ट्स के कारण, जिसकी मांग चीन लगातार बढ़ा रहा है।

क्या गिरेंगे दाम? क्यों नरम हुआ अंतरराष्ट्रीय मार्केट?

विश्व बाजार में तीनों प्रमुख अनाज—गेहूं, चावल और मोटे अनाज—के दाम पिछले कुछ हफ्तों में नरम पड़े हैं। FAO के अनुसार All Rice Price Index दिसंबर 2021 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इसका सीधा मतलब है—उपलब्धता बहुत ज़्यादा है और बाजार पर दबाव कम है।

यह स्थिति कई देशों, खासकर आयातकों के लिए राहत भर है, क्योंकि खाद्य महंगाई पहले से ही तनाव में है।

किसानों और मार्केट के लिए इसका क्या मतलब?

  • किसानों को बेहतर मौसम और मजबूत कीमतों का फायदा मिला है।
  • आयात करने वाले देशों के लिए अनाज की उपलब्धता में बढ़ोतरी राहत भरी है।
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में नरमी बनी रह सकती है, क्योंकि स्टॉक भारी मात्रा में हैं।
  • फीड, इंडस्ट्री और घरेलू खपत—तीनों सेक्टर इस बढ़ते उत्पादन का लाभ उठाने वाले हैं।

दुनिया भर में अनाज की इस मजबूत स्थिति का असर भारत समेत सभी बड़े देशों के खाद्य बाजारों पर देखने को मिलेगा। यह वही समय है जब सरकारें और मार्केट दोनों नई नीतियों, स्टॉक मैनेजमेंट और व्यापार रणनीति की ओर ध्यान देते हैं।

नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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