DAP Price Increase 2025: नए साल की शुरुआत में किसानों को आर्थिक रूप से बड़ा झटका लगने की संभावना है। खेती में यूरिया के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले DAP (डाय-अमोनियमफॉस्फेट) खाद (Fertilizer) की कीमतों में इजाफा हो सकता है। वर्तमान में किसानों को 50 किलोग्राम का एक डीएपी बैग ₹1350 में मिलता है, लेकिन जनवरी 2025 से इसकी कीमतों में प्रति बैग ₹200 तक की वृद्धि हो सकती है।
डीएपी पर सब्सिडी खत्म
केंद्र सरकार द्वारा देश के किसानों को सस्ता रेट में डीएपी उपलब्ध कराने के लिए ₹3500 प्रतिटन की दर से विशेष सब्सिडी देती है। लेकिन यह सब्सिडी 31 दिसंबर 2024 को खत्म हो गई है।
- फास्फोरिक एसिड और अमोनिया: डीएपी उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले इन कच्चे माल की कीमतों में 70% तक की वृद्धि हुई है।
- डॉलर और रुपये का प्रभाव: डॉलर की तुलना में रुपये के कमजोर होने से आयात लागत में ₹1200 प्रतिटन की बढ़ोतरी हो चुकी है।
अगर सब्सिडी बंद होती है, तो प्रति टन ₹4700 की लागत बढ़ेगी, जिससे डीएपी के प्रति बैग का मूल्य ₹200 तक बढ़ जाएगा ।
पोषक-तत्व आधारित सब्सिडी योजना (NBS)
सरकार 2010 से पोषक-तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना चला रही है। इसके तहत उर्वरक निर्माता कंपनियों को सब्सिडी दी जाती है।
- रबी मौसम (2024-25): डीएपी पर प्रति टन सब्सिडी ₹21,911 की गई।
- खरीफ मौसम (2024): सब्सिडी ₹21,676 प्रतिटन थी।
एनबीएस योजना के अलावा सरकार डीएपी पर विशेष अनुदान देती है। अगर इस अनुदान का विस्तार नहीं हुआ, तो डीएपी महंगा होना तय है।
बढ़ती लागत और उत्पादन संकट
- वैश्विक मूल्य: अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी का मूल्य $630 प्रतिटन है।
- घरेलू स्थिति: भारत में इस वर्ष 93 लाख टन डीएपी की जरूरत थी, जिसका 90% आयात से पूरा हुआ।
- महंगाई का असर: दो साल पहले डीएपी का मूल्य ₹1200 प्रति बैग था, जिसमें ₹150 की वृद्धि की गई थी, इस वृद्धि के बाद अब किसानों को ₹1350 प्रतिबैग है।
समय सीमा में बढ़ोत्तरी नहीं हुई तो कीमतें बढ़ना तय…
सरकार द्वारा किसानों को कम मूल्य पर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए विशेष अनुदान उपलब्ध कराया जाता है, जिसकी समय सीमा 31 दिसंबर को पूरी हो चुकी है। ऐसे में यदि सरकार सब्सिडी जारी रखने का फैसला नहीं लेती है, तो जनवरी से डीएपी के दामों में वृद्धि होना लगभग तय है। अगर सब्सिडी बंद हुई, तो किसानों और उद्योगों को पर इसका बड़ा असर पड़ेगा।
देश में डीएपी की कुल मांग का करीब 90 फीसदी आयात से पूरा किया जाता है। अगर सब्सिडी बंद हुई, तो किसानों के लिए खेती करना महंगा हो जाएगा। यदि सरकार विशेष सब्सिडी जारी रखने का निर्णय लेती है तो किसानों के लिए ये राहत भरा फ़ैसला हो सकता है।