Cotton Price News: उत्तर भारत में नरमा कपास की मांग में तेजी के चलते इसके दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उत्पादन में कमी और बढ़ती मांग के कारण हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की मंडियों में नरमे की कीमतें उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। हरियाणा की आदमपुर मंडी में नरमा की कीमत पिछले सप्ताह 8200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी, जबकि इस समय यह 8000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास स्थिर है। राजस्थान के श्रीगंगानगर और अनूपगढ़ इलाकों में नरमा के भाव 8300 रुपये प्रति क्विंटल तक दर्ज किए गए हैं।
कपास के उत्पादन में गिरावट: कीट प्रकोप और कम बुवाई प्रमुख कारण
कपास उत्पादन में गिरावट के प्रमुख कारणों में कीट प्रकोप और कम बुवाई शामिल हैं। गुलाबी सुंडी और सफेद मच्छर जैसे कीटों के हमलों ने पिछले कुछ वर्षों में कपास की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन कीटों के कारण किसान इस साल कपास की बुवाई में संकोच कर रहे हैं। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में इस साल कपास की बुवाई में लगभग 34 प्रतिशत की कमी आई है।
कम उत्पादन और मांग में वृद्धि: बाजार में देरी से आवक
किसान निजी बाजारों में उच्च मांग के कारण अपनी फसल को कुछ देर से बाजार में ला रहे हैं। लंबे रेशे वाले नरमे का समर्थन मूल्य 7521 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, लेकिन निजी बाजार में इसके 400-500 रुपये प्रति क्विंटल अधिक मिलने की उम्मीद है। किसानों का मानना है कि उच्च कीमतों का लाभ उठाने के लिए वे समय का इंतजार कर सकते हैं। इस समय, देश भर में कपास की दैनिक आवक एक लाख गांठ के आसपास सिमटी हुई है, जो आम दिनों से काफी कम है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में भी उत्पादन में कमी
महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना जैसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में भी इस साल कपास उत्पादन कम रहने की संभावना है। बारिश के कारण फसल को हुए नुकसान से भी उत्पादन पर असर पड़ा है। इसके अलावा, गुणवत्ता में कमी और गीली फसल के कारण बाजार में कीमतें फिलहाल स्थिर हैं।
भविष्य के बाजार परिदृश्य और संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे कपास की उत्पादन कमी की स्थिति स्पष्ट होगी, इसके दामों में उछाल आने की पूरी संभावना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल कपास उत्पादन 305 लाख गांठ के आसपास रह सकता है, लेकिन वास्तविक उत्पादन में और भी गिरावट होने की संभावना है। उत्पादन में कमी के कारण केवल कपास ही नहीं, बल्कि इसके उप-उत्पाद जैसे बिनौला, खल और तेल के दामों में भी वृद्धि हो सकती है।
कपास की कीमतों में स्थिरता या और तेजी?
वर्तमान में बाजार में कपास की आवक कम गुणवत्ता वाली है, जिससे कीमतों में बड़ी तेजी नहीं दिख रही है। हालांकि, यदि उत्पादन में कमी जारी रहती है, तो कपास की कीमतें आगे और बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, वैश्विक बाजार में भी कपास की कीमतों पर असर पड़ सकता है, जिससे भारतीय बाजार में नरमा के भावों में स्थिरता और संभावित तेजी की संभावना बनी रहेगी।
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