Crop Protection : मौसम में बदलाव का सबसे असर किसानों पर पड़ता है। किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए तरह-तरह के उपाय करने पड़ते है। इसी कड़ी में आज हम आपको सर्दी के इस सीजन फसलों को पाले से बचाने की जानकारी बताने जा रहे है। क्योकि पाला पड़ने से खेतों में खड़ी फसलों को कई बार भारी नुकसान हो जाता है। अत्यधिक पाले की वजह से फसलें सड़ने-गलने लगती है ऐसे में सही समय पर इनका बचाव करना ज़रूरी होता है।
पाले से फसलों को होता है भारी नुकसान
पाला पड़ने से गेहूं और जौ की फसल में 20 से 25 फीसदी वहीं सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम, मटर, चना, गन्ने आदि फसलों में 30 से 40 फीसदी तक का नुकसान हो सकता है। जबकि सब्जियों की बात करें तो आलू, टमाटर, मिर्ची, बैंगन आदि में 40 से 60 फीसदी तक नुकसान हो सकता है। ऐसे में किसानों को इस मौसम में काफी नुकसान झेलना पड़ता है।
पाला पड़ने से पेड़ पौधों की कोशिकाओं में मौजूद जल के कण बर्फ में बदल जाते हैं। इससे वहां अधिक घनत्व होने के कारण पौधों की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, ऐसे में पेड़ पौधों को विभिन्न प्रकार की क्रिया (कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, वाष्प उत्सर्जन) करने में समस्याओं उत्पन्न होती है। जिसके कारण पौधे विकृत हो सकते हैं। इस वजह से फसलों में नुकसान होता है साथ ही उपज और गुणवत्ता में भी कमी देखने को मिलती है।
पाले से फसलों का कैसे करें बचाव?
Farmers Should Protect Their Crops From Frost: पाले से फसलों को बचाने के कई तरीक़े हैं, जिनमे कुछ किसानों द्वारा इजाद किए देशी जुगाड़ है जिनमें कोई ख़र्चा नहीं आता तो वहीं कुछ दवाईयों की सहायता से भी फसलों को बचाया जा सकता है।
देशी जुगाड़ की बात करें तो, शीत लहर एवं पाले से फसल की सुरक्षा के लिए खेतों की मेढ़ों पर घास फूस जलाकर धुआं करें या फिर आप सिचांई करें, कृषक स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई कर पाले का बचाव कर सकते हैं। इसके अलावा आप खेत में रस्सी से फसलों को हिलाते रहें, जिससे फसल पर पड़ी हुई ओस गिर जाती है और फसलों को काफी हद तक पाले से बचाया जा सकता है।
फसलों के बचाव के लिए दवाईयों का इस्तेमाल
फसलों को पाले से बचाने के लिए आप दवाइयों का भी इस्तेमाल कर सकते है। यूरिया की 20 Gr/Ltr पानी की दर से घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करना चाहिए। अथवा 8 से 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से भुरकाव करें। इसके आलावा घुलनशील सल्फर 80% डब्लू डी जी की 40 ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है। ऐसा करने से पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित जीवद्रव्य का तापमान बढ़ जाता है।
किसान अधिक जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।