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राजस्थान में कपास के उत्पादन में भारी गिरावट, मंडियों में छाया है सन्नाटा

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हनुमानगढ़ : प्रदेश में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने है ऐसे में इस समय सभी राजनीतिक दल और नेता चुनावी समीकरणों में उलझे हुए हैं। नेतागण अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए किसानों के विकास की बड़ी बड़ी बातें कर रहे है, जबकि दूसरी गंगानगर हनुमानगढ़ ज़िले की प्रमुख कपास उत्पादक मंडियों में नरमा कपास की आवक बेहद कमजोर है, इससे स्पष्ट संकेत मिल रहे है कि इस बार कपास का उत्पादन काफी कमजोर है। जिससे किसान काफी चिंतित और परेशान हैं। लेकिन चुनावी झूठे वादों के अलावा इन नेताओं के पास किसानों को देने के लिए कुछ नहीं है।

कपास उत्पादन में भारी गिरावट

गंगानगर और हनुमानगढ़ जिले के कई गांवों में फसल की औसत उत्पादकता दर घटकर काफी कम रह गई है। आमतौर पर यहां प्रति बीघा नरमा का उत्पादन 7 से 9 क्विंटल होता रहा है। जो की इस बार घटकर 3 से 5 क्विंटल तक हुआ है। जिसमें भी पिंक बॉलवर्म यानी गुलाबी सूंडी के प्रकोप से क्वालिटी बेहद कमजोर है। कुछ इलाक़े तो ऐसे भी है जहां उत्पादन प्रति बीघा 2 क्विंटल से भी कमजोर है।

राजस्थान के दो प्रमुख कपास उत्पादक जिले- श्री गंगानगर एवं हनुमानगढ़ में इस बार पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सूंडी) कीट का जबरदस्त प्रकोप रहा जिससे इसकी फसल को भारी नुकसान हुआ है।

नुकसान की हो भरपाई

समस्या उन किसानों की ज्यादा गंभीर है जिसने बीज या पट्टा पर खेत लेकर उसमें कपास की खेती की थी। किसानों का कहना है कि अगले चुनाव के बाद राज्य में चाहे जिसकी सरकार बने, उसे कपास उत्पादकों को हुए भारी नुकसान की भरपाई को पहली प्राथमिकता देनी होगी। पिंक बॉलवर्म कीट ने इस बार राजस्थान के साथ-साथ पंजाब तथा हरियाणा में भी कपास की फसल को काफी हद तक क्षति ग्रस्त कर दिया है।

उत्पादन घटने से मंडियों में कपास की आवक बहुत कम हो रही है। प्राप्त सूचना के अनुसार चालू वर्ष के दौरान राजस्थान के किसानों ने कपास की खेती में जबरदस्त उत्साह दिखाया जिससे वहां इसका बिजाई क्षेत्र बढ़कर 8.25 लाख हेक्टेयर के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया जबकि विगत वर्षों में वहां इसका क्षेत्रफल 6.50-7.00 लाख हेक्टेयर से बीच दर्ज किया गया था।

नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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