जयपुर : देश के किसानों की आय बेहद कम है इस कारण किसानों को कृषि कार्यों के लिए साहूकारों और बैंकों से कर्ज लेना पड़ता है। देश के किसान खेती के लिए ज़्यादातर मानसून पर निर्भर रहते है, समय पर बारिश नहीं होने की वजह से फसलें बर्बाद हो जाती है और ऐसे में वो कर्ज नहीं चुका पाते। किसान मानसिक तौर पर परेशान हो जाते है और कर्ज के बोझ के तले दब जाते है। ऐसे में बैंक किसानों से जबरन कर्ज वसूल करते हैं और उनकी कृषि भूमि की नीलामी तक कर देते है।
लेकिन अब राजस्थान की गहलोत सरकार ने इस चुनावी साल में किसानों को लुभाने के लिए बड़ा दांव खेलते हुए किसान कर्ज माफी पर आयोग (Farmers Debt Relief Commission 2023) बनाने का एक बिल पास कर दिया है।
इस आयोग के बनने के बाद बैंक और कोई भी फाइनेंशियल संस्था किसी भी कारण से फसल खराब होने की स्थिति में किसानों से जबरन कर्ज वसूली या कर्ज देने के लिए दबाव नहीं बना सकेंगे।
किसान फसल खराब होने पर कर्ज माफी की मांग करते हुए इस आयोग में अप्लाई करेंगे। आयोग बनने से अब फसल खराब होने पर लगातार कर्ज माफी का रास्ता खुला रहेगा और इससे केवल जरूरतमंद किसानों को मदद मिलेगी।
किसान कर्ज राहत आयोग 2023
राज्य किसान कर्ज राहत आयोग में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को इसका अध्यक्ष बनाया जाएगा। इस आयोग में अध्यक्ष सहित 5 सदस्य होंगे। आयोग में एसीएस या प्रमुख सचिव रैंक पर रहे रिटायर्ड IAS, जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके अफसर और एक एग्रीकल्चर एक्सपर्ट को मेंबर बनाया जाएगा।
सहकारी समितियों के एडिशनल रजिस्ट्रार स्तर के अफसर को इसका सदस्य सचिव बनाया जाएगा। इस आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा। आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल भी 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी और किसी भी मेंबर को हटा सकेगी।
किसान कर्ज राहत आयोग के अधिकार
किसान कर्ज राहत आयोग को कोर्ट जैसे अधिकार होंगे। अगर किसी इलाके में फसल खराब होती है और इसकी वजह से किसान बैंकों से लिया हुआ कृषि कर्ज चुका नहीं पाता है तो ऐसी स्थिति में आयोग को उस किसान या पूरे क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित कर देने का अधिकार होगा। संकटग्रस्त किसान घोषित होने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा। आयोग को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी संबंधित अधिकारी या व्यक्ति को समन देकर बुला सकेगा।
इसके अलावा जब तक मामला आयोग के पास लंबित रहेगा तब तक किसान के खिलाफ किसी भी तरह का मुकदमा, आवेदन, अपील और याचिका पर रोक रहेगी।
किसानों की जमीन को बैंक नहीं कर सकेंगे नीलाम
यदि आयोग किसी किसान या क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित करता है तो बैंक ऐसे इलाकों में अपने कर्ज की वसूली के लिए किसी भी तरह से किसान की जमीन जब्त या नीलाम नहीं कर सकेगा। जब तक आयोग के पास में केस पेंडिंग रहता है तब तक किसान के विरूद्ध किसी भी प्रकार के वाद आवेदन, अपील और याचिकाओं पर रोक रहेगी। इस दौरान किसान या किसान की जमीन के संबंध में बैंक की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।