सरसों की नई उन्नत किस्में 2022: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) के वैज्ञानिकों ने सरसों की दो नई किस्में RH 1424 और RH 1706 किस्में विकसित की हैं। सरसों की इन किस्मों का लाभ हरियाणा राज्य के किसानों के साथ-साथ पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू राज्यों के किसान भी उठा सकेंगें। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि विश्वविद्यालय के तिलहन वैज्ञानिकों की टीम ने सरसों की इन किस्मों को विकसित किया हैं। आगे उन्होंने बताया की इसमें से एक प्रजाति Zero fatty acid वाली है, जो सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है।
कुलपति ने मिडिया को जानकारी देते हुए सरसों की आरएच-1424 व आरएच 1706 किस्मों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इन किस्मों से पैदावार में बढ़ोतरी के साथ तेल की गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी। राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुर (राजस्थान) में हुई अखिल भारतीय समान्वित अनुसंधान परियोजना (सरसों) की बैठक में इसकी हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू राज्यों में खेती के लिए पहचान की गई हैं।
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उत्पादकता बढ़ाएंगी नई किस्में
सरसों की इन नई किस्मों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया आरएच 1424 किस्म इन राज्यों में समय पर बुवाई और बारानी परिस्थितियों में खेती के लिए जबकि आरएच 1706 सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई के लिए बहुत उपयुक्त किस्म पाई गई है। उन्होंने कहा ये किस्में उपरोक्त सरसों उत्पादक राज्यों में सरसों उत्पादन को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगी।
कुलपति ने बताया कि हरियाणा पिछले कई वर्षों से सरसों फसल की उत्पादकता के मामले में देश में शीर्ष स्थान पर है। यह इस विश्वविद्यालय में सरसों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास और किसानों द्वारा उन्नत तकनीकों को अपनाने के कारण संभव हुआ है।
सरसों की नई किस्मों की क्या विशेषता है ?
अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने सरसों की दो नई विकसित किस्मों RH 1424 और RH 1706 खासियत बताते हुए कहा की..
RH 1424 किस्म की खासियत:-
- बारानी परीक्षणों में नव विकसित किस्म आरएच 1424 में लोकप्रिय किस्म आरएच 725 की तुलना में 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत बीज उपज दर्ज की गई है।
- यह किस्म 139 दिनों में पक जाती है और इसके बीजों में तेल की मात्रा 40.5 प्रतिशत होती है।
RH 1706 किस्म की खासियत:-
- सरसों की दूसरी किस्म आरएच 1706 में 2.0 प्रतिशत से कम इरूसिक एसिड (Erucic acid) होने के साथ इसके तेल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है जिसका उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को लाभ होगा।
- यह किस्म पकने में 140 दिन का समय लेती है और इसकी औसत बीज उपज 27 क्विंटल हेक्टेयर है।
- इसके बीजों में 38 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है।
अब तक सरसों की कितनी किस्में विकसित की जा चुकी है ?
विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के आनुवंशिकी व पौध प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि Haryana Agricultural University देश में सरसों रिसर्च में अग्रणी केंद्र है। अब तक यहां अच्छी उपज क्षमता वाली सरसों की कुल 21 किस्मों को विकसित किया जा चूका है। हाल ही में यहां विकसित सरसों की किस्म RH 725 कई सरसों उगाने वाले राज्यों के किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
इन वैज्ञानिकों का रहा योगदान
सरसों की RH 1424 और RH 1706 किस्मों को विकसित करने में जिन तिलहन वैज्ञानिकों का योगदान रहा उनके नाम इस प्रकार है:- डॉ. राम अवतार, आरके श्योराण, नीरज कुमार, मनजीत सिंह, विवेक कुमार, अशोक कुमार, सुभाष चंद्र, राकेश पुनिया, निशा कुमारी, विनोद गोयल, दलीप कुमार, श्वेता, कीर्ति पट्टम, महावीर और राजबीर सिंह शामिल हैं। कुलपति ने वैज्ञानिकों की इस टीम को बधाई दी और उन्हे भविष्य में भी सरसों की उम्दा किस्मों के विकास का कार्य जारी रखने को कहा।