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क्या कपास में बनी रहेगी तेजी? क्या कहते हैं जानकार, देखें ताज़ा रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 31 अगस्त। भारत में कपास की प्रगतिशील बुवाई हुई है, पिछले साल के 12 मिलियन हेक्टेयर के स्तर को पार कर चुकी है, लेकिन कीमतें अभी भी लगभग 91000 रुपये से 96000 रुपये प्रति कैंडी 356 किलोग्राम प्रति कैंडी के आसपास मंडरा रही हैं और कपास की नई आवक आने तक इसके कम होने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।

हरियाणा की मंडियों में फिलहाल नरमा-कपास का हाजिर दाम इस प्रकार चल रहा है :- सिरसा नरमा 9750 से 9852, आदमपुर नरमा 9969 रुपए, बरवाला नरमा भाव 10300 रुपए व कपास देशी 8550 रुपए, ऐलनाबाद नरमा 9500 रुपए, फतेहाबाद मण्डी में नरमा 9321 रुपए एवं नई कपास देशी 8630 रुपए. जबकि राजस्थान की हनुमानगढ़ मंडी में कल नया नरमा 9851 रुपए प्रति क्विंटल तक बिका . इसे भी देखें : नरमा कपास के दैनिक मंडी भाव देखने के लिए यहाँ विजिट करें

इस साल की शुरुआत में कपड़ा क्षेत्र की कुल मांग के कारण कपास की कीमतें 110000 रुपये प्रति कैंडी तक बढ़ गई। ठीक एक महीने पहले मांग घटने से कपास की कीमत घटकर 80000 रुपये घटकर 85000 रुपये प्रति कैंडी रह गई।

ऑल इंडिया कॉटन, कॉटन सीड्स एंड कॉटन केक ब्रोकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अवधेश सेजपाल ने कहा, हालांकि बाजार में कपास की सीमित उपलब्धता ने एक बार फिर कीमतें बढ़ा दी हैं। सेजपाल ने दावा किया कि देश भर में कपास का रकबा बढ़ने के बावजूद दिवाली के बाद ताजा कपास की आवक के बाद भी कीमतें 70000 रुपये प्रति कैंडी से नीचे जाने की संभावना नहीं है क्योंकि अमेरिका और चीन में कपास की फसल का उत्पादन कम रहने की संभावना है।

इसके अलावा कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ज्यादा कपास नहीं खरीद पा रहा है क्योंकि किसान अपनी उपज को खुले बाजार में बेचना पसंद कर रहे हैं क्योंकि उन्हें एमएसपी से ज्यादा कीमत मिलती है। इसलिए आगामी कपास सीजन के लिए बहुत कम कैरी फॉरवर्ड स्टॉक होगा।

भारत में कपास की बुवाई अब तक 12.2 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गई है। वर्तमान फसल की स्थिति अच्छी है। इसका मतलब है कि कपास की बंपर फसल होगी बशर्ते आने वाले दिनों में अत्यधिक बारिश न हो।

सीएआई के अध्यक्ष अतुल गनात्रा सहित कपास व्यापार के विशेषज्ञों का दृढ़ विश्वास है कि अंतरराष्ट्रीय कपास दरों को देखते हुए भारतीय बाजार में 2021-22 सीजन के दौरान कपास की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया गया था। उन्होंने कहा कि सट्टा गतिविधियों के परिणाम स्वरूप कमोडिटी की कम मांग के बावजूद कपास की वर्तमान दर भी बहुत अधिक है। दिलचस्प बात यह है कि देश में कताई मिलें अभी भी कम मात्रा में खरीद रही हैं क्योंकि घरेलू बाजार में कुछ मांग है।

गुजरात के स्पिनर्स एसोसिएशन (एसएजी) के सचिव गौतम धामसानिया ने कहा, गुजरात में 120 कताई मिलों में से 15 कपास की ताजा आवक तक परिचालन बंद है। अन्य 30 से 35 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहे हैं। सूती धागे की निर्यात मांग नगण्य है। इसलिए स्पिनर अपने मौजूदा ऑर्डर के मुताबिक काम कर रहे हैं।

धामसानिया ने कहा कि पाकिस्तान और तुर्की में ताजा कपास की फसल बाजार में आने लगी है, लेकिन वैश्विक कपड़ा उद्योग भारत, चीन और अमेरिका में कपास की फसल का इंतजार कर रहा है, जो आने वाले महीनों में अंतरराष्ट्रीय कीमतें तय करेगा।

महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु गुजरात के अलावा भारत में प्रमुख कपास उत्पादक राज्य हैं। महाराष्ट्र में कपास की खेती का रकबा 4 मिलियन हेक्टेयर से अधिक हो गया है। गुजरात में कपास की बुआई 27 लाख हेक्टेयर को छू सकती है। उत्तर और दक्षिण भारतीय राज्यों में कपास की खेती का रकबा क्रमशः लगभग 1.5 मिलियन हेक्टेयर और 4 मिलियन हेक्टेयर है।

नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 5 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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