Wheat Procurement: किसान साथियों, क्या आपको पता है कि साल 2025-26 में आपका गेहूं किस भाव में बिकेगा और उसे बेचने की प्रक्रिया क्या होगी? अगर नहीं, तो यह लेख आपके लिए है। आज हम आपको गेहूं की खरीदारी की सारी जानकारी देंगे। यह लेख इसलिए खास है क्योंकि यह आपको न सिर्फ जानकारी देगा, बल्कि सही तरीके से लाभ उठाने में भी मदद करेगा। तो चलिए, शुरू करते हैं!
गेहूं की खरीदारी की दर और प्रक्रिया
साल 2025-26 में गेहूं की खरीद 2425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से होगी। यह खरीदारी का जिम्मा किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ को दिया गया है। एफपीओ किसानों को एक साथ लाकर उनकी उपज को सही दाम दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए पूरे बिहार में 151 क्रय केंद्र खोले जाएंगे। खरीदारी का समय 1 अप्रैल से 15 जून तक रहेगा। यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए पर्याप्त समय मिले।
खरीदारी कैसे होगी और क्या होंगे फायदे
भारतीय खाद्य निगम के जीएम क्षेत्र अमित भूषण ने बताया कि एफपीओ किसानों को क्रय केंद्रों तक लाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। अच्छी बात यह है कि किसानों के खाते में 2425 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान उसी दिन कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं, एफपीओ को भी 27 रुपये प्रति क्विंटल का कमीशन मिलेगा। यह प्रक्रिया पारदर्शी और तेज है। और जानकारी चाहिए तो भारतीय खाद्य निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।
राज्य सरकार का योगदान
रबी विपणन वर्ष 2025-26 में राज्य सरकार भी पीछे नहीं है। बिहार में करीब 5000 गेहूं खरीद केंद्र खोले जाएंगे। इस बार लक्ष्य है 2 लाख टन गेहूं खरीदना। पिछले साल यह आंकड़ा 1.5 लाख टन था, जो इस बार बढ़ाया गया है। किसानों को समर्थन मूल्य का पैसा 48 घंटे के अंदर उनके बैंक खाते में मिल जाएगा। यह कदम किसानों के लिए राहत भरा है।
इन जिलों में होंगे ज्यादा केंद्र
गेहूं की पैदावार को देखते हुए कुछ खास जिलों में ज्यादा केंद्र खोले गए हैं। इनमें रोहतास, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, बक्सर, भोजपुर, सिवान, गया, सारण, नालंदा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, सासाराम, गोपालगंज, औरंगाबाद, बेगूसराय, पटना और दरभंगा जैसे जिले शामिल हैं। इन इलाकों के किसानों को अब अपनी फसल बेचने के लिए दूर नहीं भटकना पड़ेगा।
जिला कृषि पदाधिकारी का संदेश
संतोष कुमार सुमन ने कहा कि सरकार किसानों की भलाई के लिए कई योजनाएं चला रही है। इनसे फसलों की पैदावार लगातार बढ़ रही है। मिसाल के तौर पर, ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ योजना से किसानों को अपनी जमीन की सेहत पता चल रही है। इससे सही उर्वरक चुनने में आसानी होती है। कृषि विभाग भी नई तकनीकों की जानकारी दे रहा है।
जागरूकता की जरूरत
नई फसलों से उत्पादन बढ़ा है, लेकिन अभी भी कई किसानों तक यह बात नहीं पहुंची। संतोष कुमार सुमन ने कहा कि मेले और कार्यशालाएं इसमें बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। किसानों को इनमें हिस्सा लेना चाहिए। इससे वे नई तकनीकों और सरकारी योजनाओं से वाकिफ हो सकेंगे।
पशुपालन से बढ़ाएं आय
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. दीपक कुमार ने किसानों को पशुपालन की सलाह दी। उन्होंने बताया कि गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सुअर, मुर्गी और मछली पालन से अतिरिक्त कमाई हो सकती है। मिसाल के तौर पर, गाय का दूध बेचकर सालाना 50,000 रुपये तक कमाए जा सकते हैं। उन्होंने सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए भी प्रेरित किया।