नई दिल्ली Wheat Flour Export Ban: केंद्र की मोदी सरकार ने देश में गेहूं के आटे की कीमतों (Wheat flour Price) में आ रही तेजी रोकने के लिये इसके निर्यात (Export) से जुड़ी पॉलिसी में बदलाव करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
सीसीई की मंजूरी के बाद अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा. इसके बाद अब देश के कमजोर वर्गों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी. गौरमतलब है की सरकार ने गेहूं के निर्यात पर मई महीने में ही प्रतिबंधित लगा दिया था. गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद आने वाले दिनों में अब घरेलू बाजार में आटे की कीमतों (Wheat flour Price) में कमी देखने को मिल सकती है.
विदेशों में आटे की मांग बढ़ने से भारत से गेहूं आटे का निर्यात 200 फीसदी बढ़ा
केंद्र सरकार द्वारा मई माह में भारत में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी गई थी, गेहूं निर्यात पर रोक के बाद विदेशों में गेहूं के आटे की मांग में जबरदस्त उछाल आया और देश से गेहूं के आटे का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई में सालाना आधार पर 200 फीसदी तक बढ़ गया .
गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध की कोई नीति नहीं
कैबिनेट समिति ने कहा का कि पहले गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की कोई नीति नहीं थी. लेकिन खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में आटे की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए गेहूं के आटे के एक्सपोर्ट से जुड़ी पॉलिसी में संशोधन की आवश्यकता थी.
इसलिए बढ़ी गेहूं के आटे कीमतें
रूस और यूक्रेन दोनों ही देश गेहूं के प्रमुख एक्सपोर्टर्स हैं, इन दोनों देशों की वैश्विक गेहूं व्यापार में तकरीबन एक-चौथाई हिस्सेदारी हैं. दोनों देशों के बीच युद्ध के चलते गेहूं की सप्लाई व्यवस्था प्रभावित होने से इस बार भारतीय गेहूं की विदेशों में मांग बढ़ गई है. जिसके चलते घरेलू बाजार में गेहूं के दाम में तेजी आई. इसके अलावा देश में भीषण गर्मी के चलते उत्पादन पर भी असर पड़ा जिसके चलते भी घरेलू कीमतें तेजी से बढ़ रही है.
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