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मखाना खेती से लाखों कमाने का मौका! सरकार दे रही प्रशिक्षण और बाजार, जानिए पूरी योजना

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Makhana Cultivation- किसान भाइयों, अगर आप भी कुछ अलग और ज्यादा मुनाफे वाली खेती की तलाश में हैं, तो यह खबर आपके लिए है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक सिर्फ बिहार तक सीमित रही मखाना की खेती [Makhana Farming] को प्रदेश में बढ़ावा देने के लिए ‘मखाना विकास योजना’ शुरू की है। 8 दिसंबर को उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने इस योजना का शुभारंभ किया। सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹158 लाख की धनराशि तुरंत मंजूर की है। मतलब, अब पैसे की कमी नहीं, बस किसानों की तैयारी की देर है।

केंद्र का साथ, राष्ट्रीय मखाना बोर्ड का फैसला

भारत सरकार ने वर्ष 2025 में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड का गठन किया, और इसके बाद पहले चरण में 10 राज्यों में मखाना विकास योजना लागू की गई। उत्तर प्रदेश इसमें शामिल होने वाला प्रमुख राज्य है। उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने स्पष्ट कहा कि यह योजना प्रदेश के किसानों को उच्च मूल्य वाली फसल से जोड़कर उनकी आय बढ़ाने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह योजना उत्तर प्रदेश को ‘उत्तम प्रदेश’ बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।

मखाना अपने औषधीय गुणों और उच्च बाजार मूल्य के कारण ‘सुपरफूड’ [Superfood Farming] के रूप में दुनिया भर में लोकप्रिय है। अब तक यह फसल मुख्य रूप से बिहार में होती थी, लेकिन उत्तर प्रदेश की जलवायु और जलभराव वाले क्षेत्र इसके लिए बेहद अनुकूल हैं। यानी, जहां सिंघाड़े की खेती हो सकती है, वहीं मखाना भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकेगा।

₹158 लाख का पैसा कहां-कहां खर्च होगा?

बजट की बात करें तो ₹158 लाख की यह राशि छोटी नहीं है, और इसका इस्तेमाल सिर्फ खेती तक सीमित नहीं रखा गया है। उद्यान विभाग की तैयार कार्ययोजना के मुताबिक, इस पैसे से कई अहम काम होंगे:

सबसे पहले तालाबों का चयन और निर्माण होगा, क्योंकि मखाना पानी में उगता है। इसके बाद किसानों को प्रशिक्षण देने के कार्यक्रम चलेंगे। अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन भी किए जाएंगे ताकि किसान सीधे खेत में देख सकें कि मखाना कैसे उगाया जाता है। बायर-सेलर मीट [Buyer Seller Meet] आयोजित किया जाएगा ताकि किसानों को बाजार सीधे मिल सके। मखाना पवेलियन के माध्यम से प्रचार-प्रसार होगा, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान जुड़ सकें।

निर्यातकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में भागीदारी कराई जाएगी, जिससे विदेशी बाजार में मखाना की मांग बढ़े। जनपद और राज्य स्तरीय सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। सबसे अहम बात, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मखाना की स्थापना की दिशा में काम शुरू किया जाएगा। यह केंद्र भविष्य में किसानों को तकनीकी मदद, बीज और प्रोसेसिंग का ज्ञान देगा।

पूर्वांचल के 7 जिलों में होगी शुरुआत

शुरुआत में ध्यान केंद्रित किया गया है उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र पर। जिन सात जिलों को मखाना उत्पादन के लिए उपयुक्त माना गया है, वे हैं: कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, बलिया, महाराजगंज, वाराणसी और बस्ती। इन जिलों में सिंघाड़े की खेती पहले से होती है, इसलिए मखाना के लिए भी माहौल अनुकूल है। जलभराव वाले इलाके इस फसल के लिए बेस्ट हैं।

किसानों को समझना होगा कि मखाना की खेती पारंपरिक धान या गेहूं से अलग है। इसमें पानी का स्तर, बीज की गुणवत्ता और प्रोसेसिंग तकनीक सब कुछ मायने रखता है। लेकिन एक बार सही तरीका सीख लिया, तो मुनाफा कई गुना ज्यादा है। विभाग अगले वित्तीय वर्ष से इसकी खेती के क्षेत्र का विस्तार भी करेगा।

अगले साल से और तेज होगा काम

उद्यान मंत्री ने साफ कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में सीमित समय बचा है, इसलिए शुरुआत में सिर्फ बुनियादी काम होंगे। लेकिन अगले वित्तीय वर्ष से विभाग मखाना की खेती का विस्तार, गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री का उत्पादन और प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन गतिविधियों को व्यापक स्तर पर शुरू करेगा। मतलब, अभी जो किसान जुड़ेंगे, वे भविष्य में इसके अग्रणी उत्पादक बन सकते हैं। पहले आने वाले को ही बाद में सबसे ज्यादा फायदा होगा।

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नमस्ते! मैं जगत पाल ई-मंडी रेट्स का संस्थापक, बीते 7 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती-किसानी, मंडी भाव की जानकारी में महारथ हासिल है । यह देश का पहला डिजिटल कृषि न्यूज़ प्लेटफॉर्म है, जो बीते 6 सालों से निरन्तर किसानों के हितों में कार्य कर रहा है। किसान साथियों ताजा खबरों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिए। धन्यवाद

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